मरकज़ बना तिरुपति बालाजी मंदिर, 140 लोग कोरोना संक्रमित
देश के नामी तिरुपति बालाजी मंदिर जो कि आंध्र प्रदेश में स्थित्त है वहां 140 से ज्यादा लोग संक्रमित हो गए हैं। इसी कारण अब मंदिर को बंद करने की मांग जोर पकड़ रही है। लेकिन मंदिर के बोर्ड के अधिकारी ने मंदिर कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी मंदिर को बंद करने से इनकार कर दिया है। अधिकारी ने कहा कि बालाजी मंदिर दर्शन के लिए खुला रहेगा।

कोरोना वायरस महामारी और इसके बाद अनलॉक 1 की योजना के अनुसार बोर्ड ने 11 जून को मंदिर को खोलने का फैसला लिया था। लेकिन अब हालात कुछ ठीक नहीं है, कोरोना संक्रमण को रोकने और बचाव के लिए कुछ दिन मंदिर का बंद होना लाज़मी है। तो वहीं तिरुपति देवस्थानम बोर्ड की अध्यक्ष वाई वी सुब्बा रेडी ने मंदिर में सार्वजानिक दर्शन को रोकने के बारे में कहा कि कोई योजना नहीं है। उनका कहना है कि तीर्थयात्रियों में कोरोना संक्रमण के कोई सबूत नहीं है।
कोरोना वायरस भीड़भाड़ वाले इलाकों में सबसे ज्यादा फैलता है। यही वजह है कि मंदिर में 14 पुजारियों सहित मंदिर के 140 कर्मचारी कोरोना की चपेट में आ गए हैं। कोरोना संक्रमण जब भारत में फैलना शुरू हुआ था तो उसका जिम्मेदार दिल्ली की निजामुद्दीन मरकज़ को ठहराया गया था। इस तरह कि बातें थी कि दिल्ली सहित पूरे देश कोरोना मरकज़ में इकठ्ठा हुए लोगों के कारण फैला है। जिसके बाद पहले प्रतिबंध और उसके बाद उस एरिया में केवल जरूरी काम की सेवाये जारी रखी गयी और लगातार टेस्टिंग की गयी जिससे संक्रमण और न फैले।
आगे मरकज़ अटेंड करने वाले लोगों पर कार्यवाही भी की गई और अब तक यह सिलसिला जारी है कुछ छूट गए हैं तो कुछ हिरासत में है। धर्म को निशाना बनाया गया और बहुत सारे मरकज़ में शरीक होने वालों को मीडिया ने भी जम के टारगेट किया। अब आज तिरुपति मंदिर का भी कुछ ऐसा ही सूरत–ऐ– हाल है लेकिन इसपर सबने चुप्पी साधी हुई है। फ़िलहाल आधे से ज्यादा कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। लेकिन अभी भी जिद में मंदिर खोला जा रहा है। इस तरह से मंदिर के खुले रहने से कब यह दूसरा मरकज़ बन जाये वो दिन दूर नहीं।
आंध्र प्रदेश की सरकार को सख्ती से हालात का जायजा लेना चाहिए और मंदिर में श्रद्धालुओं को रोक सफ़ाई होनी चाहिये। यहां यह समझना जरूरी है कि पूजा या इबादत के लिए खुद की और दूसरों की जान को ख़तरे में डालना बिलकुल गलत है और कोरोना की रोकथाम से बड़ी कोई दूसरी चुनौती नहीं है।