
15 जून की रात कुछ सैनिकों के लिए आखरी रात साबित हुई। चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों पर हमला किया और भारत के 20 सैनिक माँ भारती के नाम पर शहीद हो गए। पुरे देश में ऐसा होने के बाद गुस्सा है और इन सैनिकों के परिवार शोक में डूबे हैं। आपको बता दें, इन 20 सैनिकों में 8 सैनिक 30 साल से कम उम्र के थे, जो देश के लिए मर मिटे।
आइये इन देश के वीर सपूतों से आपका परिचय कराते हैं, जिन्होंने देश के नाम अपना बलिदान दिया। ये उन सैनिकों के बारे में है जिनकी सारी जिंदगी उनके आगे थी, लेकिन उन्हें तो देश के लिए अपनी जान देने का कोई डर न था।
देश पर न्यौछावर होने वाले 8 जवानों की उम्र 30 वर्ष से भी कम
- सैनिक अंकुश ठाकुर जिनका सपना कमिसिनेड अफसर बनना था। मात्र 21 साल का पंजाब रेजिमेंट का ये सैनिक हिमाचल के हमीरपुर डिस्ट्रिक्ट का रहने वाला था। जिसके दोनों पीढ़ियों ने आर्मी में सेवा की।
- इनके साथ गणेश हांसदा भी 21 साल के थे, जिनकी चीनी सेना के साथ लड़ाई में जान चली गयी। झारखण्ड के गणेश ने अपने परिवार को गरीबी से निकालने और देश की सेवा के लिए आर्मी ज्वाइन की थी।
- सैनिक गुरबिंदर सिंह, जो अपनी इंगेजमेंट के लिए 9 महीने पहले अपने घर पंजाब गए थे, केवल 22 साल की उम्र में इस जंग में मरे गये।
- बिहार के रहने वाले सैनिक चंदन कुमार,23 लॉकडाउन की वजह से अपने घर नहीं गए थे। अपने भाइयों के नक़्शे कदम पर इन्होंने भी आर्मी ज्वाइन करने का फैसला लिया था।
- सैनिक राजेश ओरंग अपने परिवार के कमाने वाले सदस्य थे। किसान परिवार से आने वाले राजेश 26 साल की उम्र में देश को अपना जीवन अर्पित कर दिया, अपने पिता की अकेली संतान थे।
- झारखण्ड के रहने वाला एक सैनिक पिता कुंदन कुमार ओझा को 15 दिन पहले बेटी हुई थी, अपनी बेटी के लिए नाजाने उनके मन में कितने प्लान्स थे, लेकिन वो भी देश के नाम केवल 28 साल में शहीद हो गए।
- छत्तीसगढ़ के सैनिक गणेश राम कुंजाम, किसान परिवार से थे। मात्र 28 साल की उम्र में देश के नाम इन्होंने अपना बलिदान दे दिया।
- इनके अलावा बाकी कर्नल संतोष बाबू और 18 साल से आर्मी में भर्ती होने वाले हाविल्डर के पलानी भी मारे गए। बाकि सैनिक भी 30-35उम्र के थे, सलाम है इनके जज़्बे को।
नेता–अभिनेता के बच्चे क्यों आर्मी ज्वाइन नहीं करते?
लेकिन एक सवाल जो दिमाग में आता है कि क्यों सेना में केवल गरीब, किसान या मिडिल क्लास परिवारों के जवान भर्ती होते हैं। जैसा की हम सब देखते है देश के नामी बिजनेसमैन, खिलाड़ी, फ़िल्म स्टार्स और नेता ये लोग शहीदों के लिए ट्वीट तो सबसे पहले करते हैं, पर क्या यही काफी है? इन लोगों के आने वाली पीढ़ी क्यों सेना में भर्ती नहीं होती? या तो इन सबके बच्चे फॉरेन यूनिवर्सिटी से तालीम हासिल करते हैं या सेफ ऑप्शन में अपना काम करते हैं, लेकिन देश के प्रति इनका काम केवल एक ट्वीट करना होता है।
खैर देश के सबसे बड़े हीरो हमारे ये सैनिक भाई हैं, ये हैं तो देश है और हमारा अस्तित्व है, ये नहीं तो हम कुछ भी नहीं। हम इनकी दिल से इज़्ज़त और शुक्रिया अदा करते हैं जिनके बड़े दिल के कारण आज हम महफ़ूज और सुरक्षित हैं।