रईसा की तरह हजारों लोग मुस्लिम तुष्टीकरण का शिकार हुए
इंदौर में सब्जी विक्रेता डॉ रईसा अंसारी ने नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। फर्राटेदार अंग्रेजी में बोलते हुए सब्जी विक्रेता डॉ अंसारी ने आरोप लगाया कि अधिकारी सब्जी विक्रेताओं को परेशान कर रहे हैं। इस महिला ने बाद में बताया कि उन्होंने इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से पीएचडी PhD की है।

मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में डॉ रईसा अंसारी ने मालवा मिल चौराहे पर प्रशासन की कार्यवाही पर सवाल उठाए। वायरल वीडियो में महिला बोलती है कि हम लोग क्या करें, प्रधानमंत्री या कलेक्टर के घर जाकर मरें या निगम के गले पड़ें? अफसर उसकी बात सुनने को मजबूर हो गए। डॉ रईसा ने निगम के ठेले हटाने की कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा– सब्जी बेचना उसका पुश्तैनी काम है।
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डॉ रईसा ने कहा कि वो लोग 65 साल से फल सब्जी का कारोबार कर रहे हैं। फिर अचानक से आकर कोई हमें कैसे भगा सकता है। परेशानी जताते हुए महिला ने कहा कभी लेफ्ट या कभी राइट और बार–बार कहते हैं यहां से जगह खाली करो। उन्होंने सवाल किया कि सब्जी विक्रेता अपने परिवारों का पालन पोषण कैसे करेंगे ? 25-27 लोगों के परिवार को खाना कैसे देंगे? उन्होंने कहा इतनी बुरी हालत है कि कई दिनों से पानी पीकर सो रहे हैं। कई से भी पैसा नहीं आ रहा है और आमदनी नहीं हो रही है! तो करें तो क्या करें?
मुस्लिम तुष्टीकरण का शिकार है रईसा
जब महिला से अफसरों ने पूछा कि उन्होंने बेहतर नौकरी का विकल्प क्यों नहीं चुना? यह पूछने पर महिला ने उत्तर दिया कि मुझे काम कौन देगा। लोगों के दिमाग में धारणा बन गयी है कि मुसलमानों से कोरोना वायरस उत्पन्न होता है। अब मेरा नाम रईसा अंसारी है तो कोई भी कॉलेज या शोध संस्थान मुझे नौकरी देने को तैयार ही नहीं है।
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इलकौती रईसा मुस्लिम तुष्टीकरण का शिकार नहीं है बल्कि ऐसे हज़ारों लाखों युवा है देश में जो ऐसी घटिया राजनिति की भेंट चढे हैं। कोरोना काल के बाद छोटे मोटे घन्धे कर अपना गुज़ारा कर रहे मुस्लिम समुदायों के खिलाफ देश भर में ऩफरत का एक माहौल बनाया गया। इस समुदाए पर कोरोना के फैलाने का इंलज़ाम थोपा गया। जिसकी वजह से कई जगह उनके साथ मार पीट हुई और उनको सब्जी या फल बेचने से रोका गया।