इंसानियत की अगर सबसे बड़ी कोई मिसाल है तो वो हैं खैर सिहं
पिछले दो महीने से भी ज़्यादा वक्त से देशभर में लॉकडाउन है। इसके चलते हजारो की संख्या में प्रवासी मजदूर भूखे-प्यासे चलते रहे। बहुत सी निजी संस्थाए व लोगों ने इस मुश्किल वक्त में भुखों को खाना खिलाया। ऐसी ही इंसानियत की मिशाल पेश करतए एक बुज़ूर्ग है 81 वर्षीय खैर सिहं (Khaira Singh)

सेवा भाव हर मज़हब सिखाता है लेकिन केवल सिख समुदाए ही इस पर पूरी तरह से अमल करता है। जब जब बेबस और भुख से बिलखते लोगों को मदद की ज़रुरत होती है तब कोई न कोई सिख फरिश्ता बनक सहायता के लिए आ जाता है। ऐसे ही एक फरिश्ते ख़ैर सिंह।
महाराष्ट्र के करंजी के पास नेशनल हाईवे 7 पर स्थित इस ढाबे रोजाना मुसाफिर बनकर चलने वाले हजारो बसे, ट्रक, टेम्पो पर रुकते है और फुर्सत से भोजन करते। इतने हाहाकार के बीच 81 साल के खैर सिंह (Khaira Singh) की मुफ्त लंगर सर्विस न केवल भोजन दे रही हैं बल्कि मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं।
ख़ास बात ये है कि उस 450 किमी की लंबी रोड पर केवल ये एक ऐसी जगह है जहाँ खाना मुफ्त और खाने लायक है। ये है बाबा कर्नेल सिंह का ढाबा जो उस इलाके में खैरा बाबाजी के नाम से प्रसिद्ध है। ये शनिवार इसलिए खास रहा क्योंकि गुरु अर्जन सिंह के 414 वे शहादत दिवस के मौके पर खैरा बाबा (Khair Singh) ने लोगो को अपने हाथो से शर्बत पिलाया।
खैरा जी कहते हैं कि ये गांव और आदिवासी इलाका है जिसके चलते यहां न तो पीछे 150 किमी के दायरे में और न आगे 300 किमी के दायरे में कोई रेस्टोरेंट है। यही कारण है यहां से गुजरने वाले यात्री हमारे ‘गुरु के लंगर‘ में रुक के खाने का आन्नद उठाते है। गेरुए रंग के बोर्ड पर ‘गुरुद्वारा साहिब‘ और ‘डेरा कर सेवा‘ का ये गुरु का लंगर, 11 किमी दूर स्थित गुरुद्वारा भगोद साहब वाई से जुड़ा हुआ है।
गौरतलब है कि सन 1705 में 10वे सिख गुरु नांदेड़ के रास्ते जाते हुए इसी जगह रुके थे, जिसके करीब 125 साल बाद नांदेड़ का गुरुद्वारा तख्त हजूरी साहब सिखानंद एक प्रसिद्ध तख्त बन गया। ये फ्री लंगर सेवा, खैरा (Khaira Singh) जी बताते है 32 साल पहले शूरू की गई।
इस लॉक डाउन में हमने भारी संख्या में आने वाले लोगो को खाना खिलाया। आपको ये जानकारी हैरानी होगी कि पिछले 10 हफ़्तों में यहां करीब 15 लाख लोगो ने खाना खाया है। जिसकी हमे दिल से ख़ुशी है। मेरी टीम में 17 सेवक और 11 कुक हैं जो ये सुनिश्चित करते हैं कि सभी को गर्मागर्म खाना परोसा जाये। ख़ास बात ये है कि खैरा जी के ढाबे में आपको नाश्ते में ब्रेड, बिस्कुट और चाय मिलती हैं। वहीं लंच और डिनर में अलग सब्जियां जैसे आलू वडी, आलू वंगा और तुवर दाल और चावल।
खैरा (Khair Singh) जी का ये ढाबा अपने आप में अद्भुद है , यहां इंसानो के साथ जानवरो को भी रोजाना कुत्ते, बिलियों और गायों को रोटी और गुड़ खिलाया जाता है। गुरु का लंगर में दो दान पात्र रखे गए हैं , जिससे जिन लोगो को जो कुछ भी देना हो अपनी मर्जी से दे सके। जिसके बाद फिर वो पैसा लंगर में ही लगाया जता है। खैरा जी इस काम करने की प्रेरणा को ऊपर वाले की इच्छा बताते हैं। उनका कहना है कि ये सब तो वाहे गुरु की मेर है, हम लोग तो उनके सेवक है।
बता दें, लॉक डाउन में ये सेवा सदाबहार रहे खैरा जी (Khaira Singh) के भाई जो अमरीका में रहते हैं, उन्होंने अपनी तरफ से डोनेशन किया। इस सेवा से खैरा जी को आनन्द मिलता है और सूरज की धूप में भी खैरा जी नेकी के इस काम में लगे रहते हैं।
अदिति शर्मा