कड़ाके की ठंड और बारिश के बीच डटे रहे आंदोलनकारी किसान, सरकार को दी ये चेतावनी
किसानों का प्रदर्शन ठंड और बारिश के बीच भी जारी है। हालांकि दोहरी मार झेल रहे किसानों के लिए मुश्किल बढ़ गयी है लेकिन आत्मविश्ववास बरक़रार है।

भारत के किसान 40 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।
ठंड और बारिश के बीच डटे हैं किसान
दिल्ली की कड़ाके की ठंड और भारी बरसात के बीच भी किसान आज बॉर्डर्स पर डटे रहे। पिछले कुछ दिनों से बरसात और ठंडी हवाओं के कारण किसानों के लिए मुश्किलें काफ़ी बढ़ गयी हैं। लेकिन किसान टिकरी, ग़ाज़ीपुर और सिंघु बॉर्डर पर फिर भी डटे हुए हैं। किसानों को उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों को समझेगी और कृषि बिल को रद्द करेगी।
इन समस्याओं का सामना कर रहे किसान..
एक किसान ने मीडिया से कहा कि बारिश और ठंड के कारण खाना बनाना भी मुश्किल हो गया है क्योंकि सारी लड़कियां गीली हो गयी है। कुछ सुखी लकड़ियों से गुजारा चल रहा है। बारिश और कीचड़ के कारण खाना बाटनें और खिलाने में भी दिक्कत हुई क्योंकि जिन चटाइयों पर बैठ कर किसान खाते हैं वो गीली हो चुकी हैं।
हालांकि साथ ही किसान प्लास्टिक की शीट और बाकि चीजों की मदद से आने वाले दिनों में आंदोलन जारी रखने के लिए किसान तैयारी कर रहे हैं।
लोहड़ी के दिन जलाएंगे कृषि कानूनों की कॉपी
दिल्ली हरयाणा के सिंघु बॉर्डर पर डटे किसानों ने कहा कि वो इस बार लोहड़ी अलग अंदाज में मनाएंगे। किसानो ने एलान किया है कि 13 जनवरी को लोहड़ी के दिन किसान कृषि कानूनों की कॉपी जला कर सेलिब्रेट करेंगे लोहड़ी। किसान नेता मंजीत सिंह ने देशभर में लोगों से 6 जनवरी को प्रदर्शन करने की मांग भी की है।
24 घंटे में ठंड से हुई दो किसानों की मौत
बता दें, पिछले 24 घंटे में दिल्ली की सर्दी और बारिश के बीच दो किसानों की मौत हो गयी। किसानों के परिवारवालों का कहना है कि ये मौत ठंड के कारण हुई है जिसके लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है क्योंकि सरकार किसानों की बात नहीं समझ रही है।
किसान जुगबिर सिंह की मौत टिकरी बॉर्डर पर हुई और कुलबीर सिंह की कुंडली बॉर्डर पर हुई। कुलबीर सिंह सोनीपत से थे और उम्र 45 साल थी वहीं जुगबिर सिंह 65 साल के थे जिनका दिल का दौरा आने से मौत हुई।
जनवरी 4 के बाद बढ़ा देंगे प्रदर्शन
किसानों का समर्थन कर रहे स्वराज इंडिया पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि यदि जनवरी 4 की बैठक में सरकार किसानों की बात नहीं मानती है तो किसान अपना प्रदर्शन और तेज कर देंगें।
सरकार से अब तक छह बार किसान संगठनों की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई महत्वपूर्ण हल नहीं निकला है। हालांकि पिछली मीटिंग में किसान और सरकार के बीच चार में से दो मांगों पर किसान सहमत होने की बात सामने आई थी।