
सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने आज 28 साल बाद बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में फैसला सुना दिया है। 6 दिसंबर 1992 की अयोध्या में मस्जिद ढहाए जाने वाली घटना के आरोपियों को बरी कर दिया। जज एस के यादव ने फैसले में कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पूर्वनियोजित नहीं, बल्कि आकस्मक घटना थी।
कोर्ट ने अपने फैसले में और क्या कहा?
सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं है जिससे साबित हो सके कि मस्जिद विध्वंस साजिश के तहत हुआ था। कोर्ट ने कहा सीबीआई की ओर से जमा किए गए ऑडियो और वीडियो सबूतों की जांच करना मुश्किल है क्योंकि ऑडियो क्लियर नहीं है।
ये बड़े चेहरे थे इस केस में आरोपी
आपको बता दें, इस हाई प्रोफाइल मामले में बीजेपी के बड़े नेता जैसे – लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी ज़और कल्याण सिंह जैसे नेता शामिल थे।
कोर्ट ने इन सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। बता दें अडवाणी- जोशी समेत इस मामले में कुल 49 लोगों के नाम शामिल है। इनमे से 17 लोग अब दुनिया में नहीं हैं, और बाकि 32 आरोपियों को कोर्ट ने पेश होने को कहा था। आडवाणी और जोशी वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये जुड़े थे।
किन धाराओं में दर्ज किया गया था केस?
गौरतलब है कि विध्वंस मामले में दो केस दर्ज किये गए थे। एक एफआईआर 197 और दूसरा FIR 198। FIR 197 में लाखों कारसेवकों के खिलाफ केस फाइल हुआ था जिसमे IPC की तोड़फोड़ करने से लेकर लूटपाट करने जैसी कई धाराएं लगाई गई थी। वहीं FIR नंबर 198 भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े चेहरों के खिलाफ दर्ज की गयी थी। इनके ऊपर आईपीसी की धारा जिसमें दंगा करना और भड़काऊ बयान बाजी करना और दुश्मनी फैलाना के तहत केस दर्ज किया गया था।
ओवैसी ने कहा यह फैसला आखरी नहीं
बीजेपी और अयोध्या ने इस फैसले का स्वागत किया और इसे सच्चाई की जीत बताया। वहीं AIMIM अध्यक्ष और सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने इसे काला दिन बताया और पूछा क्या जादू से गिरी थी मस्जिद? कहा कि कोर्ट ने अपराधियों को क्लीन चिट दी है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि कातिल वहीं मुंसिफ अदालत उस की वो शहीद, बहुत से फैसलों में अब तरफ-दारी भी होती है।
LIVE: Barrister @asadowaisi addresses a press conference on #Babri Masjid demolition judgment https://t.co/k0I34tfKxN
— AIMIM (@aimim_national) September 30, 2020