
कोविड़-19 के चलते देश भर में डॉकडाउन की स्थिति है। ऐसे में देश भर से कुछ तस्वीरें आ रही है जिनमें पुलिस प्रशासन द्वारा बेवजह बाहर घूम रहे लोगों कों को सबक सिखाया जा रहा है। कई जगहों पर पुलिस अपनी लाठी से इनको सबक सिखा रही है तो कहीं उठक बैठक के ज़रिए। लेकिन हाल ही में बिहार राज्य से एक ऐसी तस्वीर आई है जिस पर विवाद खड़ॉ हो गया है। दरअसल राजधानी पटना के कारगिल चौक पर बाहर घूमती कुछ महिलाओं को पुलिस ने उठक बैठक कराई गई थी। इस मामले पर बिहार महिला समाज की कार्यकारी अध्यक्ष निवेदिता झा ने कहा पुलिस प्रशासन की यह कार्रवाई अत्यंत ही निन्दनीय है। हम मांग करते है कि इस तरह की कार्रवाई पर तुरंत रोक लगाई जाए। और इस घटना के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर शीघ्र कार्रवाई की जाय। उन्होनें कहा कि लॉक डाउन के दौरान बाहर निकलने वाली महिलाओं को पुलिस द्वारा सार्वजानिक जगह पर उठक – बैठक कराना महिलाओं के प्रति असम्मान है। यह भी एक तरह की हिंसा है और महिलाओं की निजता का हनन है।
निवेदिता ने कहा, आम तौर पर महिलाएं घर से बाहर बिना काम के नहीं निकलती हैं। बहुत मजबूरी में ही वे घर से बाहर निकल रही हैं। ऐसे में पुलिस महिलाओं को सहयोग देने के बजाय उनका मजाक बना रही है। सड़कों पर उनका अपमान कल रही है। निवेदिता ने कहा, 23 अप्रैल के अखबार में तस्वीर छपी है जिसमें पुलिस पटना के कारगिल चौराहे पर महिलाओं से उठक–बैठक करा रही है। उन्हें सड़क पर सजा दी जा रही है। अगर कोई। लॉक डाउन का उलंघन करता है तो उसके लिए जो कानून है उसके तहत कार्रवाई हो। लेकिन उठक–बैठक कराना तो महिलाओं का अपमान है। किसी को यह अधिकार नहीं है कि महिलाओं के साथ ऐसा बर्ताव करे।उन्होंने कहा, बिहार महिला समाज लॉक डाउन के दौरान घर में महिलाओं पर बढ़ रही हिंसा को लेकर चिंतित है। हम सरकार से मांग करते हैं कि घरेलू हिंसा के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाय। महिलाएं अपने घरों में सुरक्षित रहें सरकार ये सुनिश्चित करें। हम मांग करते है कि बिहार महिला आयोग और हेल्प लाईन की तरफ से कोई नंबर जारी किया जाय, जहां महिलाएं फोन से अपने ऊपर हो रही हिंसा की जानकारी दें और उसपर तुरंत कार्रवाई हो। आंकड़े बताते हैं कि लॉक डाउन के दौरान बच्चों और महिलाओं पर हिंसा बढ़ी है। सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से काम करना चाहिए और महिलाओं पर हिंसा नहीं हो इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए।