बिहार चुनाव: किसमे है कितना दम, महागठबंधन की होगी जीत या NDA मारेगा बाज़ी?

बिहार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए सभी राजनितिक दल वोटरों को लुभाने में लगे हैं। लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव विपक्षी महागठबंधन की अगुवाई कर रहे हैं और पिता लालू के वोट बैंक के साथ नितीश कुमार के वोटर जिसमें पिछड़ी जातियां मुख्य रूप में हैं उन्हें भी साथ करने की कोशिश में लगे हैं। वहीं दूसरी और नितीश कुमार राजद के माय समिकरण को अपनी तरफ करने में लगे हैं।
तेजस्वी यादव ने खेला है ये दांव
तेजस्वी यादव अपने नए सियासी समीकरण को साधते हुए भाजपा के भी वोट बैंक को तोड़ने की कोशिश में हैं। उनकी कोशिश है कि माय वोट के अलावा एक नया वोट बैंक तैयार कर अपनी तरफ करना। गौरतलब है कि इस कोशिश में पहली बार राजद ने कुल 144 सीटों में से 24 सीटों पर ईबीसी यानिकि अति पिछड़ी जाति और 1 दर्जन सीटों पर उच्च जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
इसके अलावा राजद ने 30 महिलाओं को भी टिकट दिया है। आपको बता दें, पिछले चुनाव में राजद ने ईबीसी के चार और उच्च जाति के केवल दो उम्मीदवारों की टिकट दिया था। वहीं अपने परंपरागत वोट बैंक के दो वर्गों मुस्लिमों और यादवों को 17 और 58 टिकट दिए हैं।
नितीश कुमार का गणित क्या रंग लायेगा?
बता दें, 2005 और 2010 के चुनावों में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के लिए ईबीसी और महादलित ही वोटबैंक रहे हैं। इस बार जेडीयू ने 19 ईबीसी, 15 कुशवाहा और 12 कुर्मी जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है। वहीं नितीश कुमार ने अनुसूचित जाति के 17 लोगों को भी टिकट दिया है। इसके अलावा जेडीयू ने 11 मुस्लिमों और 18 यादवों को टिकट देकर राजद के माय समीकरण में घुसपैठ की कोशिश है।
अति पिछड़ी जाति की क्या रही है पसंद
बिहार में अति पिछड़ी जाति के वोटरों का हिस्सा लगभग 26 फीसदी है। इसमें लोहार, सुनार, कहार, तत्वा, केवट, मलाह, धानुक आदि जातियां आती हैं। आपको बता दें 2005 से इनका बड़ा हिस्सा नीतीश की पार्टी को वोट देता नज़र आया है। अब तेजस्वी की नजर इसी वोटबैंक पर है और वो इसे तोड़ने में जुटे हैं।
दलितों और उच्च जातियों का किस तरफ झुकाव रहेगा
दलितों की बात करें तो राज्य में इनका वोट परसेंट तक़रीबन 16 फीसदी है। जिनमे पांच परसेंट के करीब पासवान हैं और बाकि महादलित जातियां हैं, जिनका वोट परसेंट करीब 11 फीसदी है। पासवान जाति को छोड़के ज्यादातर महादलित जातियों का झुकाव 2010 के बाद से जेडीयू की तरफ ही रहा है। अब तेजस्वी इन्हें भी अपनी तरफ करने की कोशिश में लग गए हैं।
बिहार में केवल 15 फीसदी वोट बैंक उच्च जातियों का है, जिनमें भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और कायस्थ हैं। गौरतलब है कि बीजेपी और कांग्रेस का फोकस सवर्णों पर रहा है लेकिन राजद ने इस बार इसे भी तोड़ने की कोशिश की है और दर्जन भर टिकट उच्च जाति के उम्मीदवारों को भी दिए हैं। वहीं भाजपा ईबीसी और यादवों को अपनी तरफ करने की कोशिश में जुटी है। यह कहना सही होगा कि सभी दल एक दुसरे के वोटबैंक में घुसपैठ कर रहे हैं।