दिल्ली दंगों पर पुलिस की एक तरफा कार्यवाही पर क्यों नाराज़ हुई कोर्ट
दिल्ली दंगो की कार्यवाही पर अब दिल्ली की अदालत ने एक बड़ा बात कही है। कोर्ट का कहना है कि पुलिस की जांच एक ही पक्ष को निशाना बनाती दिख रही है। हाल में आसिफ तन्हा इकबाल को स्थानीय अदालत में पेशी के बाद जमानत दे दी गई।

दिल्ली की एक अदालत ने जामिया मिलिया इस्लामिया छात्र आसिफ तन्हा को दिल्ली में हुई, नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों से विश्वविद्यालय के पास हुई हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया था। बृहस्पतिवार को इन्हें अदालत ने जमानत दे दी थी। इससे पहले अदालत ने जांच पर टिप्णी की थी, कि जांच एक ही पक्ष के हिसाब से हो रही है।
24 वर्षीय आसिफ तनहा को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में 20 मई को UAPA Act की धारा 13 के तहत गिरफ़्तार किया था। पुलिस का कहना था कि दिल्ली दंगो की पूरी जांच पड़ताल के लिए इनको हिरासत में लेना जरूरी है। मीडिया एजेंसी के मुताबिक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा के सामने हुई पेशी में पुलिस ने 30 दिन की न्यायिक हिरासत मांग की थी। इसमें पुलिस ने आरोप लगाया गया था कि आसिफ़ दिल्ली हिंसा में सक्रिय रूप से शामिल थे।
इस पर जज धर्मेंद्र राणा ने कहा, केस डायरी पढ़ने पर कुछ परेशान करने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच का एक ही पक्ष पर सारा झुकाव है। जब जज ने इंस्पेक्टर लोकेश और अनिल से दूसरे पक्ष को लेकर सवाल जवाब किए तो पुलिस जांच के आधार पर कुछ नही कह पाई। साथ ही उन्होंने सलाह दी की डीसीपी इसकी निगरानी करते हुए निष्पक्ष जांच सुयश्चित कराए। अदालत ने आसिफ तन्हा को जमानत देने पर कहा कि छात्र 24 वर्षीय है और उसका पिछला जीवन साफ सुथरा है। साथ ही कोविद 19 से जो परिस्थियां उत्पन्न हुई है उसके चलते इन्हें जमानत दी जाती है।
अदातल ने आसिफ को निर्देश दिया कि एक अच्छे नागरिक की तरह कानून का पालन करें। और आपका नाम इस हिंसा में शामिल नही होना चाहिए। वहीं वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में अभियोजक अशोक कुमार ने आसिफ पर आरोप लगाते हुए कहा, कि तन्हा की घटनास्थल पर मौजूदगी के कॉल रिकॉर्ड बरामद हुए है। साथ ही अशोक कुमार ने कहा इन्होंने दिल्ली दंगो में सक्रीय भूमिका निभायी थी। तनहा की अधिवक्ता एस. शंकरन ने अदालत में कहा कि तन्हा को झूठे मामले में फसाया गया है। उन्होंने अदालत को बताया कि तन्हा अपने परिवार में कमाने वाले मुख्य सदस्य हैं और पढ़ाई के साथ रेस्टोरेंट में पार्ट टाइम काम करते हैं। फ़ारसी भाषा में बीए के तीसरे वर्ष के छात्र हैं।
जमानत के लिए अर्जी में दावा किया गया कि आरोपपत्र में उसके खिलाफ हिंसा के किसी तरह के विशिष्ट आरोप नहीं है। साथ ही अर्जी में ये भी कहा गया कि गिरफ्तारी में देरी और उसके बाद की हिरासत गैरकानूनी है। इसके अलावा अर्जी में ये भी कहा कि जांच के दौरान आसिफ ने पुलिस के साथ पूरा सहयोग किया है और किसी तरह की छेड़छाड़ सबूतों के साथ नहीं की गई है।
अदिति शर्मा