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कोरोना संकट: दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को लगाई फटकार, कहा आपसे नहीं संभल रहा तो बताएं

कोरोना महामारी के बिगड़ते हालात पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने कहा कि आपका सिस्टम फेल है और किसी काम का नहीं है। यदि आपसे नहीं हो रहा है तो बताइए, हम केंद्र के अधिकारियों को लगाएंगे।

कोरोना संकट के बीच देश की राजधानी ऑक्सीजन संकट से जूंझ रही है। दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करने के दौरान दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा अपना सिस्टम ठीक कीजिये और नहीं संभल रहा तो बता दीजिए क्योंकि हम लोगो को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते। 

कोर्ट: आपके ऊपर से हमारा विश्वास हिल गया

हाई कोर्ट ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार से स्थिति नहीं संभल रही है तो हम केंद्र को संभालने के लिए कहेंगें। इसके अलावा कोर्ट ने नसीहत दी कि दिल्ली सरकार को केवल ऑक्सीजन के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए नहीं बल्कि ऑक्सीजन सिलेंडर्स के लिए भी कमर कसनी चाहिए। 

कोर्ट ने कहा कि आप पर से हमारा विश्वास हिल गया है। इसके साथ दिल्ली सरकार से कल 10 बजे तक हलफनामा दायर करने को कहा है जिसमें ऑक्सीजन रिफिलेर्स की जानकारी मांगी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने आप सरकार से ऑक्सीजन की किल्लत से दिल्ली के सभी अस्पतालों में मारे गए कोविड मरीजों की जानकारी चार दिन के अंदर पेश करने को कहा है।

कोर्ट ने कंपनियों के खिलाफ जारी किया अवमानना नोटिस

अदालत ने पांच ऑक्सीजन रिफिलेर्स कंपनियों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया क्योंकि ये कंपनियां हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी सुनवाई के दौरान मौजूद नहीं थी। कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए सेठ एयर से कहा कि हम आपको कस्टडी में ले लेंगे। कोर्ट ने सवाल किया कि क्यों आप अस्पतालों को ऑक्सीजन सप्लाई नहीं कर रहे हैं, क्या आप हमें बेवकूफ समझते हैं? कालाबाजारी हो रही है बात कही और दिल्ली सरकार की आदेश दिया कि सेठ एयर को टेकओवर करें।

रेमडेसिविर को लेकर बिफरा हाईकोर्ट

कोर्ट से केजरीवाल सरकार ने कहा कि उनके पास रेमडेसिविर दवा की सिमित सप्लाई है। जिसपर कोर्ट ने पूछा कि क्या दवाई की सप्लाई की समस्या पर केंद्रित एक पोर्टल बनाया जा सकता है जिससे इस प्रॉब्लम को सॉल्व किया जा सके। अदालत ने कहा कि घर पर इलाज कर रहे मरीजों को 

रेमडेसिविर ना देने का दिल्ली सरकार का आदेश गलत है, और इससे इससे पीड़ित की जान को खतरा है। जिसपर सरकार ने कहा कि यह दवा डॉक्टर की देखरेख में दी जाती है। तो कोर्ट ने कहा कि यह काफी मुश्किल समय है और ऐसे में लोग डॉक्टर से फोन पर बात करके ही अपना इलाज कर रहे हैं।

 

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