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गलवान विवाद पर शांति को लेकर आखिर क्यों अलग है दोनों देशों के बयान

भारत चीन सीमा विवाद को ख़त्म करने के लिए दोनों तरफ से शांति बहाल करने की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की बातचीत के बाद ये कोशिशें शुरू हुई हैं। इस शांति बहाल प्रक्रिया को लेकर दोनों देशों की तरफ से बयान जारी हुए हैं।

भारत सरकार का बयान

इस बयान में सबसे पहले कहा गया है कि दोनों देशों के प्रतिनिधि की फोन पर बातचीत हुई। जिसमें दोनों देशों ने पूर्वी सीमा के हाल पर विस्तार से चर्चा की और इसके बाद इस बात पर सहमति बनी की आपसी रिश्तों को बनाए रखने के लिए सीमा पर शांति आवश्यक है।

बयान में आगे भारत ने कहा कि बातचीत में दोनों देशों के प्रतिनिधि इस बात पर सहमत हुए कि शीघ्र ही लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल पर डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू होगी। इस बात पर भी सहमति बनी की सीमा पर तनाव कम और शांति बहाल करने के लिए दोनों देश चरणबद्ध तरीके से डीएस्कलेशन अपनाएँगे। साथ ही line of actual control (LAC) का सम्मान किया जायेगा।

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इस बयान के तीसरे भाग में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर दोनों देशों के बीच बातचीत आगे भी जारी रहेगी। लेकिन चीन की ओर से जारी किये गए बयान की भाषा भारत से काफी अलग है।

चीन सरकार का बयान

चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि भारतचीन के वेस्टर्न सेक्टर सीमा के गलवान घाटी में जो कुछ हुआ है, उसमें क्या सही है और क्या ग़लतये स्पष्ट है।

चीन ने अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के साथसाथ इलाकें में शांति बहाल करने की बात कही और चीन को उम्मीद है कि दोनों देश मिलकर इस दिशा में काम करेंगें और आपसी सहयोग से दोनों अपने मतभेदों को आगे न बढ़ाएंगे। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर की बातचीत का सिलसिला जारी रहेगा।

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हालाँकि चीन सरकार के बयान में अजीब ये है कि न तो डिसएंगेजमेंट शब्द का इस्तेमाल है और ना ही डिएस्कलेशन की प्रक्रिया का ज़िक्र है। यही कारण है कि भारत में विपक्ष के साथ दोनों देशों के संबंधों पर बारीकी से नज़र रखने वाले जानकार भी दोनों देशों के बयानों पर सवाल उठा रहे हैं।

बयान पर कांग्रेस के सवाल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने को इस मुद्दे पर ट्वीट कर से केंद्र सरकार को घेरा। इस ट्वीट में इन्होंने दोनों देशों के बयान के स्क्रीनशॉट शेयर किए और पूछा कि सरकार ने सीमा की यथास्थिति पर दबाव क्यों नहीं बनाया? चीन ने अपने बयान में गलवान में 20 भारतीय जवानों के मारे जाने का जिक्र क्यों नहीं किया और गलवान घाटी की संप्रभुता का जिक्र भी नहीं है?

 

वहीं दोनों देशों के संबंधों पर नज़र रखने वाले जानकार ब्रह्म चेलानी ने ट्वीट कर कहा कि चीन के बयान में वास्तविक नियंत्रण रेखा के सम्मान और यथास्थिति बहाल करने की बात का जिक्र नहीं है और न ही डिएस्केलेशन जैसे शब्दों का प्रयोग है।

भारत की पूर्व विदेश सचिव रही निरुपमा राव कहती हैं कि दोनों देशों के बयान में कोई  विवाद वाली बात नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की तरफ से एक साँझा बयान जारी नहीं हुआ है लेकिन समय देंगे तो नज़र आएगा कि डिएस्क्लेशन की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है।

साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों देशों के इशू को बिग पिक्चर में देखने की भी बात कही है, जिसका मतलब है कि भारत चीन रिश्तों पर एशिया की नहीं बल्कि पूरे विश्व की नज़र है।

ये इस बात पर इशारा करता है कि चीन भी शांति की ओर बढ़ना चाहता है। साथ ही निरुपमा ने कहा कि देश में इस मुद्दे पर राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। 

अदिति शर्मा
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