दुबई अस्पताल की इंसानियत के लिए अनूठी मिसाल, इस भारतीय के लिए किया ये बड़ा काम
वैश्विक महामारी कोरोना से सारा विश्व लड़ रहा है। हर देश अपने तरीके से इस विषम बीमारी से निपटने के प्रयास कर रहा है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है तो कोरोना के इलाज में कई लोगों की जेब खाली हो रही हैं और कई के पास इलाज के पैसे तक नहीं है। इसी बीच दुबई के अस्पताल ने इंसानियत की मिसाल पेश की है और मरीज का करीब डेढ़ करोड़ रूपये का बिल माफ़ किया।

42 वर्षीय ओड़नाला राजेश तेलंगाना के जगतियाल जिले के रहने वाले हैं। राजेश दुबई में काम करते हैं। हुआ यूँ कि 23 अप्रैल को वहां इनकी तबीयत खराब हुई और टेस्ट कराने के बाद राजेश कोरोना संक्रमित पाए गए। इसके बाद राजेश को दुबई के अस्पताल में भर्ती करवाया गया। अस्पताल में लगभग 80 दिन तक राजेश का इलाज चला और बिल 62 हज़ार, 555 दिरहम यानिकि एक करोड़ 52 लाख रुपये बना। लेकिन राजेश इतना भारी बिल भरने की हालत में नहीं थे।
इस मुश्किल समय में राजेश को मदद मिली भारतीय दूतावास से, कोरोना संक्रमण के बाद गल्फ वर्कर प्रोटेक्शन सोसाइटी के अध्यक्ष गुंडेल्ली नरसिम्हा राजेश को भर्ती कराने ले गए थे। बिल का इतना ज्यादा है पता लगने पर उन्होंने इस बात की जानकारी भारतीय दूतावास के वालंटियर सुमनाथ रेड्डी को दी।
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इसके बाद वालंटियर सुमनाथ रेड्डी ने दुबई में मजदुर मामलों के भारतीय राजदूत हरजीत सिंह को यह मामला बताया। राजदूत हरजीत सिंह ने दुबई अस्पताल के प्रशासन को खत लिखा और मानवीय आधार पर बिल माफ़ करने की मांग की। अस्पताल ने इस मांग को समझते हुए सकारात्मक जवाब दिया और राजेश का बिल माफ़ किया और उन्हें अच्छे स्वास्थ्य के साथ अस्पताल से डिस्चार्ज किया।
इलाज के बाद फ्री एयर टिकट का भी इंतजाम किया
इतना ही नहीं अस्पताल से छुट्टी के बाद राजेश के लिए दुबई से अपने वतन भारत लौटने के लिए फ्री टिकट का भी इंतजाम किया गया। राजेश और उनके साथी को इसके साथ 10 हजार रुपये की आर्थिक मदद भी दी गई। राजेश 14 जुलाई को एयर इंडिया की फ्लाइट से हैदराबाद आए और 14 दिन की होम क्वारंटाइन की हिदायत के साथ उन्हें घर भेज दिया गया।
दुबई का अस्पताल की जितनी तारीफ़ की जाए उतनी काम है। भारतीय दूतावास की मांग पर डेढ़ करोड़ का बिल माफ़ करना अपने आप में ही बहुत बड़ी बात है। ऐसे टाइम में जब भारत में अस्पताल लोगों का पैसे के बिना इलाज नहीं करते, दुबई की अस्पताल की यह दरियादिली अपने आप में इंसानियत का प्रतीक है।