फरीदाबाद: अब खोरी गांव का मामला पहुंचा संयुक्त राष्ट्र, जानिए क्यों इतनी चर्चा में है ये गांव
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भारत से आग्रह किया है कि उसे 1 लाख लोगों के विस्थापन को रोकना चाहिए। विशेषज्ञों का दावा है कि विस्थापित लोगों में लगभग 20 हजार के करीब बच्चे शामिल हैं।

शनिवार को फरीदाबाद के खोरी गांव मामले में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ द्वारा की गई टिप्पणियों को भारत ने दुर्भाग्यपूर्ण एवं पद का दुरुपयोग करार दिया। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भारत से आग्रह किया है कि उसे 1 लाख लोगों के विस्थापन को रोकना चाहिए। विशेषज्ञों का दावा है कि विस्थापित लोगों में लगभग 20 हजार के करीब बच्चे शामिल हैं।
बात दें शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भारत से फरीदाबाद के खोरी गांव से करीब एक लाख लोगों को हटाए जाने की कार्यवाही को रोकने का आह्वान किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था हटाने का आदेश
पिछले महीने खोरी गांव के पास स्थित अरावली गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में अतिक्रमित करीब 10,000 आवासीय निर्माणों को हटाने के लिए हरियाणा और फरीदाबाद नगर निगम को दिए गए आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया था। उच्च्तम न्यायलय ने अपने आदेश में कहा था कि गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में से सभी अतिक्रमण को हटाया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि “ जमीन पर कब्जा करनेवाले कानून के शासन की आड़ नहीं ले सकते हैं” और ‘निष्पक्षता’ की बात नहीं कर सकते हैं।
एक लाख लोगो हो रहे हैं प्रभावित
फरीदाबाद जिले में लकड़पुर खोरी गांव के पास वन भूमि से सभी रिहायशें हटाने के बाद जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने राज्य सरकार से छह हफ्ते के अंदर अनुपालन रिपोर्ट तलब की थी। इसके अलावा विशेषज्ञों ने एक बयान में भारत सरकार से अपील की है कि वह अपने कानूनों और 2022 तक सभी को घर उपलब्ध कराने के लक्ष्य का सम्मान करे और 100,000 लोगों के घरों को छोड़ दे। बात दें इस गांव में रहने वाले ज्यादातर अल्पसंख्यक और हाशिए पर रखे गए समुदायों से हैं। साथ ही कहा कि निवासियों को महामारी के दौरान सुरक्षित रखना बहुत महत्वपूर्ण है।
लॉकडाउन का दिया हवाला
आगे विशेषज्ञों ने कहा कि लोग पहले ही कोविड-19 महामारी से परेशान हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को हटाने संबंधी आदेश खतरे में डाल देगा और इससे 20 हजार बच्चों और पांच हजार औरतों के लिए ढेरों मुसीबतें लेकर आएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें यह बेहद चिंताजनक लगता है कि भारत का सुप्रीम कोर्ट, जिसने पहले हमेशा आवास अधिकारों की सुरक्षा का नेतृत्व किया है, वो अब लोगों को उनके घरों से बेदखल करने संबंधी आदेश दे रहा है।