देश का अन्नदाता जो देश का पेट भरता है वो अपने हक़ के लिए पुलिस की लाठियां खाने को मजबूर.. आखिर क्यों?

देश का किसान रूठ गया, तो देश कैसे खायेगा? आज यह सवाल हर किसी की जुबान पर है। किसान विरोध की तस्वीरें आपको सोचने पर मजबूर कर देंगी कि किसान की मांग को सरकार अब दरकिनार नहीं कर सकती। नए किसान कानून को लेकर सितंबर से ही किसान परेशान हैं, पिछले तीन दिन से किसानों का विरोध प्रदर्शन, दिल्ली चलो मार्च कामयाब रहा लेकिन इसके लिए किसानों को कई तकलीफों का सामना करना पड़ा।
सर्दी और आंसू गैस के गोले, रोक नहीं पाए
बता दें, पंजाब और हरयाणा राज्य के किसानों की फ़ौज को दोनों राज्य और केंद्र सरकार के लिए रोकना मुश्किल हो गया। दिल्ली बॉर्डर पर ड्रोन से लेकर भारी संख्या में पुलिस फाॅर्स को तैनात किया गया जिसे किसानों को दिल्ली बॉर्डर से भेज दिया जाये। हर तरह का बल का प्रयोग जैसे वाटर केनन और आंसू गैस के गोले तक छोड़े गए। इसके अलावा सिंघु बॉर्डर पर किसान और फोर्स के बीच में झड़प भी हुई। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के भी कई हिस्सों में किसानों ने विरोध जाहिर किया।

क्यों है किसान एक बार फिर सड़कों पर ?
केंद्र सरकार ने सितंबर में तीन नए किसान कानूनों को लागू किया था, जिसका विरोध किसान शुरू से ही कर रहे हैं। उनका मानना है कि नये कानून से मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानिकि MSP उपज के लिये नहीं मिलेगा। बल्कि सरकार ने हमेशा कहा है कि एमएसपी को नहीं हटाया जा रहा है। साथ ही किसानों का कहना है कि नए कानून से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों घरानों के हाथों में चला जायेगा जिसका नुकसान किसान को होगा।
सरकार हुई बातचीत के लिए तैयार
किसानों के प्रदर्शन को देख सरकार ने किसानों से विरोध प्रदर्शन को खत्म करने की अपील की। केंद्र सरकार ने किसानों को राजधानी दिल्ली के बुराड़ी में निरंकारी मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की इजाजत दी है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्ट अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया। यह कहना सही होगा कि किसानों के इस दिल्ली चलो मार्च का अंत उनकी जीत से हुआ क्योंकि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि वे किसान से हर तरह कि बातचीत के लिए तैयार हैं। उन्होंने तीन दिसम्बर को सभी किसान संगठनों से बात करने का फैसला किया है।