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बिल के विरोध में किसान सड़को पर, लेकिन सरकार टस से मस नहीं

मोदी सरकार ने संसद में तीन किसान बिल पास कराए, हाल ही मे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये बिल कानून बन चुके हैं। किसान और विपक्षीय पार्टियों के विरोध के मध्य भी सरकार ने इन बिलों को कानून बनाने के बारे में विचार नहीं किया। एक तरफ जहां कांग्रेस किसान बिल के खिलाफ है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के सहयोगी दल भी इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद किये हुए हैं।

कृषि बिलों पर कांग्रेस का मत

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज कांग्रेस शासित राज्यों को कृषि बिल को ख़ारिज करने हेतु कानून पर विचार करने को कहा। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट कर लिखा; माननीय सोनिया जी ने कांग्रेस शासित राज्यों को संविधान के अनुच्छेद 254 (2) के तहत अपने राज्यों में कानून पारित करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए कहा है। इस कानून के मुताबिक किसी समवर्ती विषय से संबंधित मामले में अगर कोई राज्य विधयिका एक कानून पास करती है, जो संसदीय कानून के प्रति निंदनीय है और वो राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करता है, तो यह राज्य में लागू होगा।

farmers protesting on bills but modi government not ready to listen them

कौनसे बिल पास किए हैं सरकार ने?

आपको बता दें, 27 सितंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जिन कृषि विधेयकों को मंजूरी दी है। बल्कि इन बिलों के चलते राजनितिक विवाद खड़ा हुआ है और पंजाबहरयाणा के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जिन किसान विधेयको को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी है

1. किसान उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2020

2. किसान मूल्य आशवसन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक 2020

3. आवश्यक वस्तु विधेयक 2020

 इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन

सोमवार की सुबह कुछ करीब 15 -20 किसानों ने इकट्ठा होकर किसान बिल के विरोध में एक पुराना ट्रैक्टर आग के हवाले कर दिया। युवकों ने सरकार के नए कृषि बिलों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यह वीडियो पंजाब यूथ कांग्रेस के ऑफिसियल पेज पर लाइव दिखाई गयी, जिसके बाद से यह कहा जा रहा है कि विरोध करने वाले कांग्रेस कार्यकर्ता थे।

पंजाब मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह बैठे धरने पर

नए कानून बिल के खिलाफ पंजाब मुख्यमंत्री कैप्ट अमरिंदर सिंह ने सोमवार को धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि लोगों का गुस्सा सब बता रहा है और किसानों को यह ही नहीं पता की उनकी उपज कौन खरीदने जा रहा है। उन्होंने विरोध प्रदर्शन में ट्रैक्टर जलाये जाने पर कहा कि मेरी मर्जी है कि मैं अपना ट्रैक्टर जलाऊ या नहीं, इससे दुसरे को क्या दिक्कत हो रही है

अकाली दल ने छोड़ा बीजेपी का साथ

एनडीए के सबसे पुराने सहयोगी अकाली दल का भी मत सरकार से अलग है। उन्होंने इस बिल के विरोध में  कैबिनेट से इस्तीफा दिया और एनडीए का साथ भी छोड़ दिया है। अकाली दल का मानना है कि कृषि विधेयक किसानों, खेत मजदूरों और आढ़तियों के खिलाफ हैं। इसके साथ उन्होंने सभी राजनितिक दलों से इसके खिलाफ एक जुट होने की अपील की। कहा कि किसानों के संपूर्ण हित में हर संखर्ष के लिए हैं तैयार।

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