ख़बर का सच

Covid का सच बताने वाले दैनिक भास्कर को सरकार का तोहफ़ा, पड़ा इनकम टैक्स का छापा

मीडिया ग्रुप दैनिक भास्कर जिसने कोरोना महामारी के दौरान बेबाक तरीके से रिपोर्टिंग की। गुरुवार की सुबह  देशभर में दैनिक भास्कर के ऑफिसों पर इनकम टैक्स के छापे मारे गए।

मीडिया ग्रुप दैनिक भास्कर जिसने कोरोना महामारी के दौरान बेबाक तरीके से रिपोर्टिंग की। गुरुवार की सुबह
देशभर में दैनिक भास्कर के ऑफिसों पर इनकम टैक्स के छापे मारे गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इनकम टैक्स के अधिकारियों ने दैनिक भास्कर के दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के अफसरों में तलाशी ली। साथ ही मीडिया ग्रुप के प्रमोटर्स के घरों और ऑफिसों में भी छापेमारी की गई।
मीडिया से बातचीत में दैनिक भास्कर के वरिष्ठ संपादक ने बताया कि भास्कर ग्रुप के अहमदाबाद, जयपुर, भोपाल और इंदौर के ऑफिसों में भी छापेमारी हुई।

कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान मुखरता से की थी रिपोर्टिंग

दैनिक भास्कर, देश के सबसे बड़े अखबार समूहों में से एक है। इस मीडिया ग्रुप ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर का दौरान मची तबाही पर मुखरता से रिपोर्टिंग की थी। कोविड-19 की दूसरी लहर में भास्कर ने आधिकारिक दावों पर आलोचनात्मक रुख वाली रिपोर्टिंग की एक सीरीज पब्लिश की थी। सीरीज में ऑक्सीजन, अस्पतालों में बेड्स और वैक्सीन की कमी के कारण हुई भारी परेशानी को हाईलाइट किया गया था। इसके अलावा भास्कर ने यूपी और बिहार के कस्बों में गंगा नदी में तैरते कोविड प्रभावितों के शवों की भयावह स्थिति को उजागर किया था।  रिपोर्टिंग में सामने आया था कि शवों के अंतिम संस्कार के लिए साधनों की कमी के कारण ऐसा किया गया।

विपक्ष ने लगाया आरोप

विपक्ष ने कहा कि भास्कर ग्रुप ने कोविड कुप्रबंधन को लेकर रिपोर्टिंग की थी और इसलिए ये छापे मारे गए हैं। कांग्रेस नेता जयराम ठाकुर ने ट्वीट कर लिखा कि अपने रिपोर्टिंग से दैनिक भास्कर ने मोदी सरकार के कोविड-19 महामारी के ‘कुप्रबंधन’ को उजगार किया था और अब उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। अरुण शौरी ने इस घटना को मॉडिफाइड एमरजेंसी बताया।

यूपी के इस चैनल पर भी छापा

उत्तर प्रदेश के एक टीवी चैनल, भारत समाचार के ऑफिसों पर भी छापे मारे गए। आयकर अधिकारियों की टीम ने इसके लखनऊ स्थित ऑफिस और संपादक के घर तलाशी ली। इसके अलावा सूत्रों ने दावा किया है कि चैनल की ओर से टैक्स चोरी के पुख्ता सबूत के आधार पर छापे मारे गए। साथ ही भारत समाचार ने अपनी हालिया रिपोर्टिंग में यूपी सरकार की आलोचना की थी।
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