इन लोगों ने निकाला ईद सेलिब्रेट करने का अनोखा तरीका
वैसे तो ईद एक खुशियों का त्योहार है, लेकिन कोरोना के चलते इस बार ये खुशी फिकी नज़र आई। लॉकडाउन के कारण लोग हर बार की तरह मस्जिद व ईदगाहों में जाकर ईबादत नहीं कर पाए। न ही इस बार बड़े पैमाने पर ईद मिलन हुआ। लेकिन Jamiyat Ulema Amroha के लोगों ने ईद को मनाने का एक अनोखा और लाजवाब तरीका निकाला।

सारी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। इसके बचाव के लिए अभी कोई वैक्सीन भी नहीं बन पाई है। इसीलिए इसकी रोकथाम के लिए लॉकडाउन ही एक मात्र उपाय है। लेकिन लॉकडाउन के चलते बहुत से लोग ऐसे हैं जिनको खाना नसीब नहीं हो पा रहा है जो परेशान है। रोगजगार बंद होने के कारण पैसा नहीं कमा पा रहे है। जिसके चलते दो वक्त की रोटी मिलने में मुश्किल पेश आ रही है।
ऐसे में निजी संस्थाएं या आस पास के लोग भूखों और ज़रुरत मंदों खाना मुहैय्या करा रहे है। जमीयत उलेमा अमरोहा (Jamiyat Ulema Amroha) भी एक ऐसी ही संस्था है जो लॉकडाउन के पहले दिन से ही गरीब और जरूरतमंदों को खाना खिलाने का काम कर रही है। इस संस्था ने रमजान भर मुख्तलिफ धर्म और जाति के लोगों को खाना खिलाने का काम किया है।
कल जब सारा देश ईद मना रहा था तब जमीयत उलेमा अमरोहा (Jamiyat Ulema Amroha) एक बहुत ही अलग और नायाब तरीके से ईद को सेलिब्रेट कर रहा था। इन लोगों ने घरों में ईद की नामज़ अदा कर खाने के पैकेट तैयार किए और उनको लेकर NH24 अमरोहा हाइवे पर पहुंच गए, जहां उन्होंने आने जाने वाले मुसाफिरों (Migrants) खाना और पानी तक्सीम किया। मौलाना मुफ्ती अफ्फान मंसूरी की सरपरस्ती में खाना डिस्ट्रीब्यूशन का यह काम अंजाम दिया गया।
इस काम में हमारे रिपोर्टर वसीम अकरम भी शामिल थे जिन्होंने ये रिपोर्ट तैयार की है। हमारे रिपोर्टर से हुई बातचीत में जमीयत उलेमा अमरोहा (Jamiyat Ulema Amroha) ने बताया कि एक तरफ जहां देश कोरोना से लड़ रहा है। वहीं लॉकडाउन के कारण हमारे गरीब भाई बहन भूख से परेशान है। ऐसे में हम ईद मनाए ये सही नहीं। इसीलिए हमने निर्णय किया कि हम ईद की नमाज़ के बाद मुसाफिरों (Migrants) को खाना खिलाने का काम करेगें और यहीं हमारी सच्ची ईद भी होगी।