हिन्दु होते हुए भी ये मंत्री 35 साल से दोस्ती के लिए रख रहा है रोज़ा
भारत हमेशा से गंगा जमुनी तहज़ीब के लिए जाना जाता है। जहां रमज़ान में राम बसते है और दीवाली में अली, ऐसा भारत देश है अपना। रमज़ान खत्म हो गया और सारा देश आज ईद मना रहा है। झारखंड से एक ऐसी ही सौहार्द वाली कहानी सामने आई है। दरअसल झारखंड में एक व्यक्ति हिन्दु होने के बावजूद पिछले 35 सालों से हर रमज़ान रोज़ा रखते है। और ये शख्स कोई और नहीं बल्कि झारखंड सरकार के वित्त मंत्री है।

वर्ष 1972 बैच के IPS अधिकारी और पटना यूनिवर्सिटी के छात्र रहे डॉ रामेश्वर उरांव Dr Rameshwar Oraon का कहना हैं कि उन्होंने Economics में पोस्ट ग्रेजुएट करने के लिए पटना यूनिवर्सिटी के Department of Economics में दाखिला लिया था। वहां हॉस्टल में उनकी पूर्णिया के रहने वाले मोहम्मद इकबाल से दोस्ती हो गयी थी। दोस्ती इतनी गहरी हो चुकी थी कि इकबाल हर सोमवार उनके साथ व्रत रखने लगे।
इसके बाद रमज़ान का पवित्र माह आया तो इकबाल ने उनसे कहा कि मैं हर सप्ताह आपके लिए उपवास करता हु। तो अब आप रमज़ान में मेरे साथ रोजा रखिए। इस तरह से डॉ. रामेशवर का रोजा ऱकने का सिलसिला शुरु हुआ और दो साल तक चला। झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राज्य के वित्त मंत्री Dr Rameshwar Oraon ने बताया कि शिक्षा पुरी होने का बाद 1972 में IPS के लिए उनका चयन हो गया। सन 1977 में जब वह एसपी बनकर चाईबासा में नियुक्त हुए तो वहां मोहम्मद शरीफ को रमज़ान में खाने पर आमंत्रित किया।
डॉ रमेश्वर उरांव Dr Rameshwar Oraon के अनुसार, ‘उस समय उन्हें लगा कि वर्ष 1969 के बाद से रोजा रखने का जो सिलसिला छूट गया था क्यों न उसे फिर से शुरू किया जाए और इस तरह साल 1977 से मैं पुलिस अधिकारी होते हुए भी प्रति वर्ष रोजा रखने लगे। साल दर साल पूरी निष्ठा और आस्था के साथ रोज़ा रखते, लोगों को इफ्तार की दावत देते और दूसरों द्वारा दी गई दावत ए इफ्तार में भी शामिल होते। रोज़ा रखने का यह सिलसिला IPS की नौकरी और बाद में सांसद बनने तक चला। लेकिन साल 2014 में शरीर में ऑक्सीजन की कमी के कारण डॉक्टर ने उनको रोजा न रखने की सलाह दी।
हालांकि वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव Dr Rameshwar Oraon अब रोज़े का अहतमाम नहीं कर पाते लेकिन पुराने दिनों को अब भी याद करते है। रोज़े का बारे में डॉ रामेश्वर उरांव कहते है कि ये आपमें त्याग की बावना को उजागर करता है। महीने भर के रोजे रखने के बाद आपको दूसरों की परेशानी और भूख का अहसास होता है। रोज़ा रखने के लिए प्रेरित करने वाले अपने दोस्त इकबाल के बारे में वित्त मंत्री कहते है कि उससे काफी बाद तक राबता रहा लेकिन बाद में वह सऊदी अरब चला गया। उससे मिलने की कसक आज भी दिल में है।
डॉ रामेश्वर उरांव Dr Rameshwar Oraon कहते है कि मौजुदा दौर में देश में भाईचारे और सौहार्द की बाते बस नाम बराबर ही रह गई है। इंसान को कोई भी मज़हब हो लेकिन उसको इंसानियत का धर्म नहीं छोड़ना चाहिए।