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जस्टिस एन वी रमना बने देश के नए मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ

शनिवार को जस्टिस एन वी रमण ने भारत के 48 वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। उनका कार्यकाल लगभग 16 महीने का होगा।

शनिवार को जस्टिस एन वी रमण ने भारत के 48 वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस नूतलपाटि वॆंकटरमण को शपथ दिलाई। 6 अप्रैल को राष्ट्रपति ने तत्कालीन सीजेआई जस्टिस शरद अरविंद बोबडे की ओर से भेजी गई सिफारिश को मंजूर करते हुए जस्टिस एन वी रमण को भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया था। 

एक नजर उनके सफर पर

बतौर जज जस्टिस रमण की पहली नियुक्ति साल 2000 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में स्थाई जज के तौर पर हुई थी। वह 2013 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं। 2013 में वह दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए और फरवरी 2014 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया।  जस्टिस रमण का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के एक किसान परिवार में हुआ और बतौर वकील उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की। जस्टिस रमण की सिविल, क्रिमिनल, सर्विस केस और राज्यों के बीच नदियों के बंटवारे से जुड़े कानूनों में विशेषज्ञता है। 

जस्टिस रमना के चर्चित फैसले

सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने कई चर्चित मामलों की सुनवाई की है जिनमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और इंटरनेट पर रोक के खिलाफ याचिकाएं, जम्मू-कश्मीर में लॉकडाऊन और 4जी सेवाओं पर रोक, महाराष्ट्र में नवंबर 2019 में राजनीतिक संकट और जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने का मामला शामिल है। जस्टिस रमण लगभग 16 महीने सीजेआई के पद पर रहेंगे और 26 अगस्त 2022 को उनका कार्यकाल पूरा होगा। 

23 अप्रैल को सेवानिवृत्त हुए जस्टिस बोबडे ने 18 महीने के अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की और अहम फैसले भी दिए। कोविड लॉकडाउन में मजदूरों के पलायन और कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के धरने जैसे संवेदनशील मामलों की सुनवाई की। लंबित मुकदमों को कम करने के लिए उन्होंने अदालती कामकाज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया।

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