लॉकडाउन: अर्थव्यवस्था और भुखमरी का हाल
कोरोना वायरस (CoronaVirus) से देश दुनिया पूरी तरह प्रभावित है। इस वायरस रूपी बीमारी ने विश्वभर में लगभग 2.5 लाख लोगों की जान ले ली है। देश में भी कोरोना का कहर थम नही रहा और स्थति इस समय संवेदनशील है। इस बीमारी के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में सम्पूर्ण लॉकडाउन (Lockdown) किया गया। लेकिन इस लॉकडाउन की हमें भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।

कोरोना के कारण चल रहे इस लॉकडाउन का भारत की अर्थव्यवस्था (Economy) पर बहुत बुरा असर पड़ा है। अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग धंधे (MSME Sector) ठप पड़े हैं । इसकी वजह से बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन तो ठप पड़ा ही है, पिछले एक महीने से लाखों कामगारों का रोजगार भी छिन गया है। महामारी और उसकी रोकथाम के लिये देशव्यापी बंद के कारण होटल, यातायात, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। सूत्रों का कहना है कि आने वाले समय में देश मे बेरोजगारी और बढ़ सकती है, जो की चिंता का विषय है।
विश्व बैंक के अनुसार 2020 में भारत की वृद्धि दर 1.5 से 2.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है। वहीं आईएमएफ ने भी जीडीपी वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। आपको बता दें कि इस लॉकडाउन की वजह से बहुत सी कंपनियों ने काम करने वालों का वेतन काटने का भी ऐलान किया है।
दूसरी ओर गरीबो की हालत चिंताजनक है। गरीबो को एक वक्त का खाना भी मिल पाना मुश्किल हो रहा है। इस लॉकडाउन से मजदूरों की रोजी रोटी भी छिन गई है। यही कारण है कि पिछले दिनों महानगरों से मजदूरों (Migrants) का प्लायन भी देखा गया। सरकार के तमाम वादों और कोशिशो के बाद भी कई गरीब ऐसे है जिनके पास खाना और आश्रय तक नही है।
बता दें कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2019 (Global Hunger Index-2019) में कुल 117 देशों में भारत 102वें पायदान पर है। यह दक्षिण एशियाई देशों में सबसे निचला स्थान है। जो की दर्शाता है की हमारे देश में भुखमरी कितनी बड़ी समस्या है। अब सरकार के सामने देश को आर्थिक संकट से निकलना एक बड़ी चुनौती है। साथ ही सभी प्रभावित लोगो को उनके जीवन के लिए आश्वस्त करना भी सरकार की ही जिम्मेदारी है। इस महामारी से अभूतपूर्व नुकसान हुआ है और एकजुटता से ही हम इस नुकसान की भरपाई कर पाएंगे।
अदिति शर्मा