इंसान जब प्रकृति का ख्याल रखने में नाकाम रहा, तब प्रकृति ने ख़ुद ये ज़िम्मा लिए और दुनिया भर में लॉक डाउन के माध्यम से अपने आप को शुद्ध कर लिया। दिल्ली जैसे अन्य प्रदूषित शहरों में आसमान साफ रहने लगा। लगभग 150 किमी दूर से ही हिमालय पर्वत की भी चोटी नज़र आने लगी। दशकों से गंदगी का दंश झेल रही गंगा व यमुना जैसी नदियां, स्वच्छ हो कर अविरल बहने लगी। वहीं जब इंसान शहरों व गांव तक सीमित न रह कर, जंगलों तक अपनी बादशाहत कायम करने लगा। तो वन्य जीव का जीवन भी सीमित होने लगा। लेकिन लॉकडाउन के दौरान, वन्य जीव को आजादी से शहरों की सड़कों का भ्रमण करते देखा जा सकता है।
दुनिया भर की सरकारों के द्वारा उठाए गए लॉकडाउन के कदम से प्रकृति को संवरने का मौका मिला है। ब्रिटेन के लॉकडाउन से भी प्रकृति को उसका खोया हुआ रुप मिल रहा है। वैसे भी पूरी दुनिया में इसका असर नई दिल्ली में साफ आसमान और स्पेन की सड़कों पर चलते हुए हिरण के रुप में देखने को मिल रहा है। दुनिया भर में लॉकडाउन से वन्य जीवों के लिए अच्छी खबर हैं। वन्य जीव रिजर्व में हिरण, खरगोश सहित कई जानवार खुले–आम विचरण करते हुए नजर आ रहे हैं। कुल मिलाकर लबो लबाब यही है, इंसान को लगता है कि सारी प्रकृति उसकी जागीर है, और वही उसकी देख रेख़ करने वाला है। लेकिन तभी ऊपर वाला इंसान को किसी न किसी माध्यम से याद दिला देता है, कि असली पालनहार व सारी सृष्टि का रचयिता वो ही है.. बेशक वहीं है।