क्या है ‘मई दिवस’ और इसको मनाते क्यों हैं
कोरोना वायरस के कारण देश तथा दुनिया भर में चल रहे लॉकडाउन के कारण जो तबका सबसे ज़्यादा प्रभावित है, आज उसका दिन है यानि ‘मजदूर दिवस’। कुछ जगह पर इसको ‘मई दिवस’ या ‘मे डे’ के नाम से भी जाना जाता है।

- दुनिया भर में मनाया जा रहा है मजदूर दिवस
- देश और दुनिया के विकास में मजदूरों की भूमिका महत्वपूर्ण
- 1 मई 1886 को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की हुई थी शुरुआत
- दुनिया के कई देशों में आज के दिन रहता है राष्ट्रीय अवकाश
हर साल एक मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। ये दिवस उन लोगों के नाम समर्पित है जिन्होंने अपने खून पसीने से देश और दुनिया के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। किसी भी देश, समाज, संस्था और उद्योग में मजदूरों, कामगारों और मेहनतकशों का योगदान अतुलनीय है। मजदूर दिवस हर साल बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसे मई दिवस, श्रमिक दिवस भी कहा जाता है, इस दिन दुनिया के कई देशों में राष्ट्रीय अवकाश रहता है। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई, जब अमेरिका में कई मजदूर यूनियनों ने काम का समय 8 घंटे से ज्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम धमाका हुआ था। ये बम किस ने फेंका इसका कोई पता नहीं. लेकिन प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोलियां चला दीं और कई मजदूर मारे गए। शिकागो शहर में शहीद मजदूरों की याद में पहली बार मजदूर दिवस मनाया गया। इसके बाद पेरिस में 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में एक मई को मजदूर दिवस मनाने का ऐलान किया गया। भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को हुई थी। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण देश भर में लॉकडाउन है, इसलिए मजदूर दिवस से संबंधित सभी कार्यक्रम पहले से ही रद्द है।