लॉकडाउन: घर पहुंचने की आस में सडकों पर दम तोड़ती जिंदगी
कोरोना वायरस और लॉकडाउन उन मजदूरों के लिए काल बनकर आया है जो बेचारे किसी तरह मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। आय के स्रोत समाप्त हो जाने के कारण घर जाने को मजबूर ये श्रमिक पैदल चलकर घरों की ओर जा रहे हैं। रास्ते में अगर बैलगाड़ी, ट्रक या बस जैसी कोई भी सवारी मिलती है तो वे उसका सहारा ले रहे हैं।

मन को आहत कर देने वाली बात ये है कि बेचारे मजदूर जिस वाहन का प्रयोग कर रहे हैं वही यम का वाहन साबित होता है। रूह कांपने वाली दर्दनाक खबर देश के कई हिस्सों से आ रही हैं। यातायात के साधन बंद होने की वजह से मजदूर जहां थे वहां पर ही फंस गए और पैदल या साइकिल पर सवार होकर ही घर वापस जाना पड़ रहा है।
हजारों-हजारों मील पैदल चलते हुए घर जाने की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वह विचलित कर दे रही है। लेकिन इन सबकी जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है। इन मौतों पर सब खामोश हो जाते हैं। जैसे कुछ हुआ ही नहीं. यह मौत बस एक आंकड़ा बनकर रह जा रहा है।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिन्हें लग रहा है कि वह कोरोना काल में ताली थाली बजवाकर, दिये और पटाखे जलवाकर, अस्पताल पर पुष्प वर्षा करवाकर सुनहरे अक्षरों में इतिहास लिख रहे हैं, उन्हें नहीं पता यह इतिहास का सबसे काला अध्याय माना जायेगा। जिस देश में गरीब-मजदूरों के जान की कीमत जानवरों से भी बदतर हो।
अभी कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रेल की पटरियों पर मजदूरों की दर्दनाक मौत का मंजर आँखों से उतरा नहीं था कि मध्य प्रदेश के गुना में बुधवार देर रात 60 से अधिक मजदूरों की बस का एक्सीडेंट हो गया। जिससे इस हादसे में 8 मजदूरों की मृत्यु हो गई। जबकि 50 से अधिक घायल हो गए। यह सभी मजदूर महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश जा रहे थे।
वहीं उत्तर प्रदेश में जो हादसा हुआ वह भी बेहद दर्दनाक है। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में एक रोडवेज बस ने मजदूरों को कुचल दिया। बुधवार की रात हुई इस दुर्घटना में 6 मजदूरों की मौके पर मौत हो गई, जबकि 2 घायल हैं। बताया जा रहा है कि ये मजदूर पंजाब में काम करते थे और पैदल ही अपने घर बिहार के गोपालगंज जा रहे थे। इसके अलावा बिहार के मुजफ्फरपुर में एक सड़क हादसे में दो मजदूरों की मौत हो गई है।
रज़िया अंसारी