मोदी सरकार का नया बिल, अब बैंक डूबने पर खाताधारकों को 90 दिन के भीतर मिलेगा पैसा
सरकार ने आज अपने नए बिल से पंजाब एंड महराष्ट्र को ऑपरेटिव बैंक, लक्ष्मी विलास, यस बैंक जैसे बैंकों के परेशान ग्राहकों को बड़ी राहत दे दी है।

सरकार ने आज अपने नए बिल से पंजाब एंड महराष्ट्र को ऑपरेटिव बैंक, लक्ष्मी विलास, यस बैंक जैसे बैंकों के परेशान ग्राहकों को बड़ी राहत दे दी है। बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में DICGC एक्ट में बदलाव को मंजूरी दे दी गई है। अब इस सिलसिले में बिल संसद में रखा जाएगा। इसके जरिए किसी बैंक के डूबने पर बीमा के तहत खाताधारकों को पैसा 90 दिन के अंदर मिल जाएगा।
मोदी सरकार ने दी मंजूरी
फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने कैबिनेट बैठक में हुए फैसले की जानकारी दी। आपको बता दें यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई थी। कैबिनेट ने डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड गारंटी काउपेरेशन एक्ट में संशोधन की मंजूरी दे दी है। अब इस बिल को संसद के मानसून सत्र में रखा जाएगा। संशोधन से निवेशकों और खाताधारकों को पैसे की सुरक्षा मिलेगी।
बिल को मंजूरी मिलने के बाद किसी भी बैंक के डूबने पर बीमा के अंतर्गत खाताधारकों को पैसा 90 दिन की सीमा के अंदर मिल जाएगा। साथ ही वित्त मंत्री ने बताया कि इसके तहत सभी कामर्शियली ऑपरेटेड बैंक भी आएंगे, चाहें वह ग्रामीण बैंक ही क्यों न हो। उन्होंने आगे बताया कि इस तरह के बीमा के लिए प्रीमियम बैंक देता है, ग्राहक नहीं।
क्या है DICGC ?
DICGC यानिकि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड गारंटी कोऑपरेशन असल मे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का सब्सिडियरी है। यह बैंक जमा पर बीमा कवर उपलब्ध कराता है। आपको बता दें पहले नियम था कि जमाकर्ताओं को 5 लाख रुपए का बीमा होने पर टैब तक पैसा नहीं मिलता था, जब तक आरबीआई अपनी प्रक्रियाएं पूरी नहीं करता था। जिस कारण उन्हें लंबे समय तक पैसा नहीं मिलता था। मगर अब एक्ट में बदलाव से ग्राहकों को राहत मिलेगी।
पांच लाख का मिलेगा बीमा
DICGC इस बात को सुनिश्चित करता है कि किसी भी बैंक के बर्बाद होने पर उसके जमाकर्ताओं को कम से कम 5 लाख रुपए की राशि वापिस की जाए। इसके अलावा पहले बीमा राशि सिर्फ 1 लाख रुपए थी, जिसे मोदी सरकार ने पिछले साल ही 5 लाख कर दिया है। अब तक पांच लाख रुपए की यह राशि कस्टमर्स को तब दी जाती है , जब किसी बैंक का लाइसेंस कैंसिल हो जाता है और उसके लिक्विडेशन यानी एसेट बेचने की प्रक्रिया शुरू होती है। लेकिन अब इस नए बिल के प्रावधानों के मुताबिक तीन महीने के अंदर ही पैसा वापस करना होगा और बाकी प्रक्रिया चलती रहेगी।