कोरोना के चलते छोटे पड़ रहे हैं दिल्ली के कब्रिस्तान
कोरोना वायरस वैश्विक महामारी ने देश- विदेश में न जाने कितने लोगों की जान ले ली है। इस जानलेवा बीमारी के समय में हमारे कोरोना वॉरियर्स दिन रात लगे हैं। वहीं एक ऐसे कोविड फ्रंटलाइन हीरो की तरफ शायद ही आपका ध्यान गया होगा जो इस आलम में उन डेड बॉडीज को दफ़न करते हैं और कितने लोगों को अपनी आंखों से कब्र में जाते देखते हैं।

मोहम्मद शामिन दिल्ली स्थित्त आईटीओ के जदीद कब्रिस्तान एहले इस्लाम के हेड हैं, जिनका कहना है कि आज जो समय ये देख रहे हैं ऐसा इनकी पिछली तीन पीढ़ियों ने भी नहीं देखा। ऐसी बीमारी शायद 100 साल में भी नही आई जिसमें लोग अपनों को दुनिया से रुखसत करने की बात पर भी सोच रहे हैं। कहीं हम भी कोरोना बीमारी के शिकार ही न हो जाएं। मोहम्मद शामिन ऐसे कोविड हीरो हैं जिन्होंने इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आये लोगों को अपने कब्रिस्तान में दफ़न करवाया है।
लोग अपनो की लाश को छूने से डरते हैं
हैरत की बात तो ये है कि अप्रैल से अब तक इनके कब्रिस्तान में 200 से ज्यादा डेड बॉडीज दफनाई जा चुकी हैं। मोहम्मद बताते हैं कि लोगों में इतना डर और बेचैनी आज से पहले कभी नहीं देखी। वो घरवाले आते हैं जिनकी आंखों में अपनों के जाने का दुख तो होता ही लेकिन साथ ही डर भी होता है। बॉडी के लिए जगह के बारे में पूछते हैं और हम उन्हें पीपीई किट्स पहनने की सलाह देतें हैं। फिर हॉस्पिटल की तरफ़ से हैल्थ वर्कर्स दफ़न की साइट पर बॉडी छोड़ जाते हैं। ये बातें अपने आप में ही दिल को जंझोड़ने वाली हैं।
हो सकता है छोटे पड़ जाएं दिल्ली के कब्रिस्तान
मोहम्मद का कहना है कि इस विषम बीमारी में डेड बॉडी पर वायरस होने के कारण इसके लिए 10 फ़ीट का गढ़ा बनाया जाता है। बल्कि नार्मल बॉडी के लिए ये 3 फीट होता है। साथ ही ये काम फ़िलहाल जेसीबी मशीन से कराया जाता है। बता दें कि ऐसी भयवाय स्थिति है कि 5 बीघा के इस कब्रिस्तान में पिछले दिनों में ही 50% जगह भर चुकी है। मोहम्मद ने बताया कि जिस गति से मृतिकों की संख्या बढ़ रही है, आने वाले समय में ये जगह कम पड़ सकती है।
अब ये तो ऐसा सच है जिसे छुपाया भी नहीं जा सकता। कितने लोगों ने अपने लोगों को खो दिया है और इतनी बुरी हालत है कि जो चपेट में आ गया उसकी ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं है। सरकार जब बोलती है कि सब सामान्य है तो सोचिये इन लोगों को कितना दर्द होता होगा