एक भी दिन शान्तिपूर्वक नहीं हुआ संसद का मानसून सत्र
संसद के मानसून सत्र का 19 जुलाई से आग़ाज़ हो गया था। अब तक एक भी दिन संसद का मॉनसून सत्र ठीक से नहीं चल सका। हर दिन हंगामा देखने को मिला।

संसद के मानसून सत्र का 19 जुलाई से आग़ाज़ हो गया था। अब तक एक भी दिन संसद का मॉनसून सत्र ठीक से नहीं चल सका। हर दिन हंगामा देखने को मिला। रोज़ कि तरह 11 अगस्त को भी संसद का सेंशन हंगामे के साथ स्थगित करना पड़ा। संसद के दोनो ही सदनों में विपक्ष ने ज़ोरदार हंगामा किया।
राहुल गाँधी का मार्च
संसद के मॉनसून सत्र के अकास्मक समाप्त होने और राज्य सभा में कुछ महिला सांसदों पर कथित हमले के खिलाफ़ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विपक्षी नेताओं के साथ आज सुबह संसद परिसर के बाहर एक मार्च निकाला। यह मार्च संसद भवन से विजय चौक तक निकला गया। राहुल गांधी ने इस दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि ‘संसद सत्र तो खत्म हो गया है लेकिन जहाँ तक देश के 60 फ़ीसदी का सवाल है, कोई संसद सत्र नहीं हुआ।’ उन्होंने कहा कि देश के 60 प्रतिशत की आवाज़ को कुचला गया है..अपमानित किया गया है और राज्य सभा में शरीरिक रूप से पीटा भी गया।
सत्र में विपक्ष को अपनी बात कहने का मौका नहीं मिला
विपक्षियों का कहना है कि इस सत्र में विपक्ष को अपनी बात कहने का मौका नहीं मिला। बुधवार को संसद में हुए हंगामें पर शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि संसद में बुधवार को महिला सांसदों के साथ जो घटना हुई, वह लोकतंत्र के खिलाफ़ है। उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना को देख कर ऐसा लगया जैसे हम पाकिस्तान सीमा पर खड़े हों। वहीं कांग्रेस नेता शरद पवार ने आरोप लगाते हुए कहा की महिला सांसदों पर हमला करने और सदन में सांसदों से हाथापाई के लिए 40 से अधिक लोगों को सदन में लाया गया।
संसद में हुए हंगामे की घटना पर बोलते हुए राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू भावुक हो गए थे। नायडू ने विपक्ष के हंगामे को लेकर निंदा व्यक्त की और कहा कि विपक्ष का कोई भी सदस्य सरकार को मजबूर नहीं कर सकता कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। अनुमान लगाया जा रहा है कि सभापति वेंकैया नायडू हंगामा करने वाले और रूल बुक फेंकने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई कर सकते हैं।
-भावना शर्मा