मुस्लमानों ने एक बार फिर क़ायम की भाई चारे की मिसाल
मेरठ शहर स्थित शाहपीर गेट पर रहने वाले रमेश चंद माथुर की बीमारी के कारण मृत्यु हो जाती है। लॉकडाउन के कारण जब कोई सगा संबद्धि अंतिम संसकार के लिए नहीं पहुंच पाता तो फिर स्थानीय मुस्लिमों ने उनकी अर्थी को कंधा देकर सूरज कुंड शवदाह गृह पहुंचाकर उनका अंतिम संस्कार कराया।

देश में आपसी सौहार्द बढ़ाने वाली तस्वीरें अक्सर हमारे सामने आते रहती हैं। कभी दिवाली के मौके पर मुस्लिम लोग अपना फर्ज निभाते हैं तो कहीं ईद या रमजान के मौके हिंदू लोग भाईचारे की मिसाल पेश करते हैं। हिन्दुस्तान की एक साझी विरासत है जिसमें भाईचारा और सौहार्द है। गांधी की इस धरती पर जहां रमज़ान में राम बसते है तो वहीं दिवाली में अली। देश में जारी लॉकडाउन के बीच भी ऐसी तमाम खबरें आ रही हैं जिसमें लोग धर्म–जाति भूलकर एक–दूसरे की मदद कर रहे हैं। खाने–पीने की चीजे मुहैया करा रहे हैं और मुश्किल वक्त में एकजुटत हो कर अहम भूमिका निभा रहे हैं। ऐसी ही एक धटना उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के शाहपीर गेट पर घटी है। शाहपीर गेट जो पहले से अपनी गंगा जुमना तहज़ीब के लिए जाना जाता है। जहां हिन्दु–मुस्लिम मुहब्बत और भाईचारे के साथ रहते है। दरअसल हुआ यूं मेरठ के शाहपीर गेट पर रहने वाले रमेश चंद माथुर की किसी बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। लॉकडाउन के चलते कोई रिश्तेदार व भाई नहीं आ पाए। अब ऐसे में उनके एकलौते बेटे को उनके अंतिम संसकार के लिए मुश्किल पेश आ रही थी। जब ये खबर पास के मुस्लिम इलाके तक पहंची तो मुस्लिम समुदाए के लोग उनकी मदद को आगे आए, और रोज़े के दौरान रमेश चंद की अर्थी को सूरज कुंड शवदाह गृह पहुंचाकर उनका अंतिम संस्कार कराया। इस दौर में जहां एक ओर कुछ मतलबी और जाहिल लोग नफरत का बाज़ार गर्म करने की कोशिश करते रहते है ऐसे में आपसी सौहार्द की ये घटनाएं हिन्दुस्तान की गंगा जमुना तहज़ीब को और बल देती है।
रिपोर्ट- वसीम अकरम
मेरठ शहर स्थित शाहपीर गेट पर रहने वाले रमेश चंद माथुर की बीमारी के कारण मृत्यु हो जाती है। लॉकडाउन के कारण जब कोई सगा…
KhabarHatke.com द्वारा इस दिन पोस्ट की गई मंगलवार, 28 अप्रैल 2020