दुनिया
Breaking News

पाकिस्तानी कोर्ट का कृष्ण भगवान के मंदिर निर्माण को लेकर आया फैसला

पाकिस्तान की राजधानी के इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने कृष्ण मंदिर निर्माण के ख़िलाफ़ आई याचिकाओं को प्रभावहीन बताते हुए ख़ारिज कर दिया है। जस्टिस आमिर फ़ारूक़ ने याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि राजधानी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और बोर्ड के सदस्यों के पास किसी भी तरह के धार्मिक स्थल को जमीन पर बनाने परमिशन है। जिसके तहत ही मंदिर के लिए जमीन मास्टर प्लान के अनुसार दी गई है। यही कारण है कि अदालत याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाये गए बिंदुओं को ख़ारिज करती है।

जस्टिस आमिर ने कहा कि सुनवाई के दौरान समझा है कि इस्लामाबाद और रावलपिंडी में तीन हिन्दू मंदिर हैं जो इन दो शहरों की हिन्दू आबादी की जरूरतों के लिए पर्याप्त हैं। आगे उन्होंने बताया कि कोर्ट में यह भी दलील दी गई थी कि महामारी में जब अर्थव्यवस्था बूरे दौर से गुज़र रही है तब मंदिर के निर्माण के लिए करोड़ों रूपये खर्च करना राष्ट्रीय ख़ज़ाने की बर्बादी है।

अदालत ने अपने फैसले में साफ किया कि फ़िलहाल मंदिर के लिए धनराशि जारी नहीं की गई है। इसपर इस्लामिक वैचारिक परिषद से सुझाव की बात की गई है। कुछ मौलवियों ने हालांकि मंदिर फंड देने के लिए असहमति जताई है।

मंदिर निर्माण के ख़िलाफ़ थीं तीन याचिकाएं

अदालत ने बताया कि पाकिस्तान के संविधान के अनुछेद 20 के तहत, देश के अल्पसंख्यकों को स्वतंत्र रूप से अपने धार्मिक संस्कार का अधिकार है। इसीलिए याचिकाकर्ताओं की उठाये बिंदुओं के मद्देनज़र अदालत के अनुसार वे इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। गौरतलब है कि राजधानी इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर बनने से रोकने के लिए कोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गई थी और यह मुद्दा बना दिया गया कि मंदिर निर्माण मास्टर प्लान में शामिल नहीं है। इमरान खान की तहरीक़इंसाफ़ पार्टी (पीटीआई) के सदस्य लाल चंद मल्ही ने अदालत के निर्णय का स्वागत किया है।

मंदिर विवाद शुरू कैसे हुआ?

पिछले दिनों मंदिर विवाद तब शुरू हुआ जब मंदिर निर्माण के कार्य को रोका गया। तभी सोशल मीडिया पर तबाही मच गई जिसमें यह कहा गया कि धार्मिक भेदभाव के चलते यह हुआ है। लेकिन सीडीए ने साफ किया कि मंदिर का नक्शा न मिलने के कारण कार्य स्थगित किया गया है।

सीडीए के अध्यक्ष आमिर अहमद अली ने मीडिया रिपोर्ट्स को बेबुनियाद बताया और कहा किइस्लामाबाद के सेक्टरएच 9 में मंदिर के लिए आवंटन हुई भूमि पर कोई विवाद नहीं था। कुछ साल पहले भूमि हिन्दू समुदाय को सौंप दी गई थी। अब निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने के लिए  समुदाय द्वारा बिल्डिंग प्लान के लिए मंज़ूरी लेना ज़रूरी था।

धार्मिक दल और कुछ राजनेता हैं मंदिर निर्माण के ख़िलाफ़

आपको बता दें इस फैसले के आने के बाद से ही धार्मिक दलों में इस बात का विरोध हो रहा है। लाहौर के जामिया अधराफिया के मुफ़्ती मोहम्मद ज़कारिया ने मंदिर निर्माण के ख़िलाफ़ फतवा जारी किया और कहा कि इस्लाम के अनुसार अल्पसंख्यकों के लिए पूजा स्थल बहाल रखना जायज है लेकिन नए मंदिर बनाना गलत है।

वहीं सरकारी ख़ज़ाने से मंदिर निर्माण के लिये पैसा खर्च करने की बात पर सोशल मीडिया में जमकर विरोध हो रहा है। इसपर धार्मिक मामलों के संघीय मंत्री नूरुलहक़ क़ादरी ने कहा कि इस्लामिक परिषद से अनुमति मिलने पर ही पैसे पर फैसला लिया जायेगा।

पीएम इमरान खान ने 27 जून को अल्पसंख्यक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक में मंदिर परियोजना के पहले चरण के लिए 10 करोड़ पाकिस्तानी रुपये के आवंटन को मंज़ूरी देने का निर्णय किया था। कुछ राजनेता ने हालांकि इसका विरोध किया, लेकिन इमरान खान की सरकार ने हिन्दू समुदाय की सुविधा और उनकी श्रद्धा को ध्यान में रखते हुए मंदिर की मरम्मत की जानी चाहिए।

अदिति शर्मा
Tags
Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button
Close
Close
%d bloggers like this: