हज़ारों मील के पैदल सफर पर गर्भवती महिला, बीच रास्ते दिया बच्चे को जन्म
भारत में अगर देखा जाए तो कोरोने से बड़ा काल ये लॉकडाउन बना गया है। भुखमरी और बदहाली ने देश के गरीब प्रवासी मजदूरों को अस्त व्यस्त कर दिया है। सरकारों के दावे और योजनाएं टीवी और अकबारों से ज़मीन पर उतरने को तैयार नहीं।

- प्रवासी मजदूरों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही
- गर्भवती महिलाएं तय कर रहीं है हज़ारों मील का सफर
- बीच रास्ते पैदल चलते सड़क पर दिया बच्चे को जन्म
सरकार के तमाम वादों के बावजूद मजदूरों की मुश्किलें अभी भी कम नही हुई हैं। एक ऐसी ही प्रवासी गर्भवती महिला ने अपनी गर्भावस्था के अंतिम पड़ाव में नासिक से सतना तक 1000 किमी दूरी तय करने का फैसला किया। शकुंतला ने 5 मई को सड़क के किनारे एक बच्चे को जन्म दिया। एक पुलिसकर्मी का कहना है कि एक मजदूरों के समूह को बिजासन नगर, महाराष्ट्र – मध्यप्रदेश बॉर्डर पर देखा गया। बिजासन नगर चेक पोस्ट इंचार्ज कविता कनेश ने इस बारे में बताया कि औरत जिसके हाथ में एक नवजात शिशु देख हमने किसी तरह की आवश्यक सहायता के लिए पुछा। साथ ही पुलिसकर्मी यह जानकार दंग रहे गए की शकुंतला ने आगरा – मुंबई नैशनल हाईवे पर बच्चे को जन्म दिया। आश्चर्यजनक बात ये है की 70 किमी चलने के बाद महिला ने बच्चे को जन्म दिया और उसके बाद भी महिला 160 किमी दूर तक चली। महिला के साथ चार महिलाऐ और थी जिनकी मदद से यह संभव हो पाया।
राकेश कॉल( शकुंतला के पति) ने मीडिया को इस बारे में बताया कि ये यात्रा हमारे लिए बहुत मुश्किल थी। लेकिन इस यात्रा में हमे ऐसे दिलदार लोग मिले जिनका हम शुक्रिया करते है। राकेश ने कहा एक सिख परिवार ने बच्चे के लिए जरूरी सामान देकर हमारी मदद की। राकेश का कहना है कि इस लॉक डाउन के कारण नाशिक की जिस इंडस्ट्री में हम नौकरी कर रहे थे वो बंद हो गयी। जिस वजह से हमने अपने गांव उच्चारा, जिला सतना जाना ही उचित समझा। पुलिकर्मीयो ने खाने और पीने की व्यवस्था के साथ उन्होनें हमारी 2 साल की लड़की के लिए एक जोड़ी चप्पल भी दी।
यहाँ इस बात को समझना जरूरी है कि सरकार ये सुनिश्चित करे की जिन सहायताओं की बात वो कर रही है, वो जमीनी स्तर पर लोगो तक पहुँचे। इस तरह के दृश्य अब हमारे सामने नही आये और इन लोगो की सही मायने में मदद हो सके।
अदिति शर्मा