कैसे हुआ विशाखापत्तनम फैक्ट्री में गैस रिसाव, कौन है ज़िम्मेदार
विशाखापत्तनम फैक्ट्री में गैस रिसाव के बाद आई तस्वीरों ने दिल दहलाने वाली है, इन तस्वीरों ने 1984 में हुए भोपाल गैस त्रासदी की भयानक यादें ताजा कर दी।

गुरुवार की सुबह आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम स्थित एक फैक्ट्री में स्टाइरीन गैस लीक होने से बड़ा हादसा हो गया। इस हादसे में अब तक 11 लोगो की जाने जा चुकी है और 20 लोगो की हालत गंभीर है। दुःख की बात तो ये है कि इस हादसे की चपेट में कई मासूम बच्चे भी आये हैं। लगभग 300 लोगो समेत 150 बच्चो का इलाज चल रहा है।
जानते है कि यह हादसा हुआ कैसे–
गुरूवार तड़के जब लोग गहरी नींद में थे विशाखापत्तनम की एलजी पॉलिमर्स रासायनिक संयंत्र में गैस रिसाव शुरू हुआ। जब लोगो को घुटन महसूस हुई तो उन्होंने वहाँ से भागना शुरू किया। इस भगदड़ में कई लोग बेहोश भी हो गए जिन्हें तुंरत अस्पताल ले जाया गया। शुरुवाती जांच के हिसाब से यह गैस रिसाव वाल्व में दिक्कत के कारण हुआ। विशाखापट्टनम नगर निगम कमिश्नर श्रीजना गुम्मल्ला के अनुसार पीवीसी या स्टाइरीन गैस का रिसाव सुबह 2.30 बजे से होने लगा था। जिसके बाद कुछ भी काबू में नही रहा। आर आर वेंकटपुरम गॉव में स्तिथ इस फैक्टरी के दायरे में आने वाले लगभग 5 गॉव प्रभावित हुए है। इस जहरीली गैस के कारण जानवर और पक्षी भी बेहोश हो गए।
यह फैक्ट्री लॉक डाउन के चलते बंद थी। हिंदुस्तान पॉलीमर्स के नाम से इस कंपनी की स्थापना 1961 में हुई थी। उसके बाद 1997 में दक्षिण कोरिया की कंपनी एलजी केम ने इस फैक्ट्री को अपने अधिकार में ले लिया था। जिसके बाद इसका नाम एलजी पॉलीमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड हो चुका था।
जांच का आदेश–
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी ने अमरावती में प्रमुख अधिकारियो के साथ आपात बैठक की।इस बैठक में घटना की जांच का आदेश दिया है। डीजीपी डी. गौतम सावंग के अनुसार, ‘गैस कैसे लीक हुई और प्लांट में लगा न्यूट्रलाइजर इस रिसाव को रोकने में क्यों कामयाब नहीं हुआ, ये जांच का विषय है और इसकी जांच करना ज़रुरी है। गौरतलब है कि स्टीरीन आमतौर पर जहरीली गैस नहीं है लेकिन गैस एक बार शरीर में चली जाए तो जानलेवा साबित हो सकती है। यह गैस हमारे नर्वस सिस्टम के साथ गले, SKIN और आंखों को प्रभावित करती है।
पीएम की हाई लेवल मीट–
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में तत्काल नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) की एक हाई–लेवल मीटिंग हुई। जिसमें नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फ़ोर्स (NDRF) के डायरेक्टर जनरल एसएन प्रधान ने इस हादसे के बारे में जानकारी दी है। NDRF के डीजी ने बताया की गैस लीक हादसे के बाद अब स्थिति काबू में है और लीकेज पर काफी हद तक नियंत्रन पा लिया गया है। NDRF की विशेष टीम ने मौके पर पंहुच कर बड़ी तेज़ी से एक्शन लिया और इस समस्या से होने वाले नुकसान को कम करने की अच्छी कोशिश की। साथ ही ऐम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि अब अधिकतर लोग स्थिर हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस गैस का लोगो के स्वास्थ्य पर असर लंबे समय तक नही पड़ेगा।
मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने इस हादसे में मारे गए लोगों के घर वालों को सहायति राशि के नाम पर 1 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है। साथ ही आंध्र प्रदेश सरकार ने यकीन दिलाते हुए कहा कि वह कंपनी से बात कर मृतकों के परिजनों को कंपनी के ही किसी प्लांट में नौकरी दिलाने की अपील करेगी। गैस लीक से प्रभावित हुए लोग जो वेंटिलेटर पर हैं, उनको लिए 10 लाख की सहायता रकम दी जाएगी।
अतः यह कहना सही होगा की आज जिस तरह से प्रशाशन ने और एनडीआरएफ की टीम ने फुर्ती दिखाई उससे नुकसान कम हुआ है। 36 साल पूर्व 1984 में जिस तरह भोपाल गैस त्रासदी से लोगों को क्षति पहुँची थी, आज भी उस दिन जैसा ही अहसास था। लेकिन अच्छी बात ये रही की इसका रोकथाम समय पर होगया और इलाज़ भी तेज़ी से हो रहा है। अब जांच होना जरूरी है जिससे आगे इस तरह की दुर्घटना ना हो।
अदिति शर्मा