राजेश खन्ना एक ऐसा सितारा, जो कभी भी अस्त नहीं होगा
भारतीय फ़िल्म जगत के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना की आज पुण्यतिथि है। 2012 में आज ही के इन दिन इनका देहांत हुआ था। राजेश खन्ना ने अपने जीवन में 180 से ज्यादा फ़िल्मों में काम किया और लोगों को एंटरटेन किया।

राजेश खन्ना की याद में एक डायलॉग जो सबसे पहले दिमाग में आता है और जिंदगी की सच्चाई को सरलता से पेश करता है, वो है आंनद फ़िल्म का यह डॉयलॉग– बाबू मोशाय, जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ है जहांपनाह, जिसे न आप बदल सकते हैं न मैं, हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जिनकी डोर ऊपर वाले के उंगलियों में बंधी है। कब कौन कैसे उठेगा, ये कोई नहीं बता सकता।
राजेश खन्ना का जन्म 1942 में 29 दिसंबर को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उनका असली नाम जतिन खन्ना था। लेकिन बॉलीवुड में सभी प्यार से राजेश खन्ना को काका कहकर बुलाते थे। ‘काका‘ ने मार्च 1973 में अभिनेत्री डिम्पल कपाड़िया से शादी की थी।
1966 से जिंदगी के अंत तक–
इस कलाकार ने फ़िल्म इंडस्ट्री पर राज किया और कईं हिट फिल्में की 180 फ़िल्मों में से 163 फ़ीचर फ़िल्मों में काम किया। 1966 में फिल्म आखरी खत से हिंदी सिनेमा में कदम रखा। तभी से उनका सुपरस्टार बनने का सफ़र शुरू हो गया था। साल 1966 से 71 तक, ये वो टाइम था जब ये सुपरस्टार शिखर पर था और इस दौरान इन्होंने लगातार 15 हिट फिल्में दी, तब से इन्हें सुपरस्टार कहा जाने लगा। राजेश खन्ना अभिनेता होने के साथ निर्देशक और निर्माता भी थे। अपने सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए राजेश खन्ना को 3 तीन फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड्स भी मिल चुके हैं और 14 बार मनोनीत किया जा चुका है।
जब अभिनेता को खून से लिखे लेटर भेजती थीं फैन गर्ल्स–
इस सुपरस्टार का अलग ही स्टाइल था– कलर वाली शर्ट पहनना और फिर पलकों और गर्दन को झुकाकर गर्दन टेढ़ी कर देखना– इन्हें बाकि स्टार्स से अलग बनाता था। कहा जाता है कि ऐसा आलम था कि लड़कियां उनकी फैन थी और खून से लेटर लिखकर अपने प्यार का इजहार किया करती थी। इतना ही नहीं लड़कियों के दिल पर राजेश खन्ना इस कदर राज करते थे कि फैन गर्ल्स उसी खून से राजेश के नाम का सिंदूर लगा लिया करती थी।
जब राजेश खन्ना ने खुद को भगवान के बगल में महसूस किया–
आंनद फ़िल्म ने राजेश खन्ना को रातोरात फेमस कर दिया था और फैन फॉलोइंग भी बढ़ गयी थी। एक इंटरव्यू में राजेश खन्ना ने बताया कि फ़िल्म आंनद में से मिली सफलता के बाद उन्हें लगने लगा था जैसे की वो भगवान के बगल में हैं। उन्होंने बताया कि असल सफ़लता क्या होती है वो इन्होंने आनंद फ़िल्म के बाद पहली बार महसूस किया था। उन्होंने इंटरव्यू में आनंद फ़िल्म प्रीमियर का जिक्र भी किया। बंगलुरू में प्रीमियर था और करीब 10 मील तक सड़क पर लोगों के सिर के सिवा कुछ दिखाई नहीं रहा था। माना जाता है आनंद फ़िल्म अमिताभ और राजेश खन्ना के लिए गेमचेंजर साबित हुई थी। आनंद फ़िल्म की यादें राजेश खन्ना कई बार शेयर किया करते थे।
कुछ वर्ष तक राजनीति में रहे एक्टिव–
सुपरस्टार राजेश खन्ना ने हिंदी फिल्मों में काम करने के बाद राजनीति में भी प्रवेश किया था और काका ने दिल्ली लोक सभा सीट से 1991-96 तक कांग्रेस पार्टी के सासंद बने रहे थे। हालांकि, चंद वर्षों के बाद ही उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया था। राजेश खन्ना जैसा स्टारडम पाने वाला सितारा न कभी हुआ है और न ही शायद कभी होगा।