
मशहूर शायर और उर्दू पोएट राहत इंदौरी का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से 70 साल की उम्र में निधन हो गया। बता दें, कोरोना संक्रमित होने के बाद से वे हॉस्पिटल में भर्ती थे। इंदौर के कलेक्टर ने उनके निधन की जानकारी दी। इसके अलावा राहत जी पहले से ही ह्रदय, किडनी रोग और मधुमेह सरीखी पुरानी बिमारियों से पीढ़ित थे।
राहत इंदौरी का जन्म इंदौर में 1950 में हुआ था। इन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई इंदौर से की और फिर भोपाल से उर्दू साहित्य में मास्टर्स किया। डॉ राहत इंदौरी ने मध्य प्रदेश की भोज यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और आइके कॉलेज में साहित्य के शिक्षक की जॉब की। कॉलेज में राहत साहब ने मुशायरे से काफ़ी लोगों का दिल जीता और देखते ही देखते देश और विश्व से इन्हें मुशायरे व उर्दू साहित्य और ग़ज़ल के कार्यक्रमों में इनवाइट किया जाने लगा। 19 साल की उम्र में राहत साहब ने अपना पहला शेर कॉलेज में लोगों के साथ साँझा किया था ।
पिछले साल इंदौरी साहब की ग़ज़ल ‘अगर खिलाफ हैं होने दो, की लाइन ‘किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है‘, सीएए विरोध प्रदर्शनकारियों के लिए आवाज़ बनी। विरोध प्रदर्शन के दौरान इस लाइन के कई पोस्टर भी देखे गए। वैसे तो इस मशहूर शायर ने कई बेहतरीन ग़ज़ल और शायरी लिखी हैं, लेकिन जब CAA विरोध में वापिस सुर्खियां बटोरी तो इन्होंने ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा था कि लोग अपनी मांगों को पूरा करने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि देश के हर नागरिक के लिए ये शेर है जो हिंदुस्तान के लिए कुर्बान होने का जज्बा रखता है।
आज उर्दू साहित्य को इनके जाने से बड़ी क्षति पहुँची है। 2020 में राहत साहब लॉक डाउन के दौरान सोशल मीडिया से लोगों से जुड़े रहते थे। इस मशहूर शायर ने अपनी जिंदगी के 50 साल अपनी कलम से कई शायरी और गजलें लिखीं, जो की जिंदगी की हकीकत को बयान करती हैं।
जैसे की–
एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तों
दोस्ताना जिंदगी से, मौत से यारी रखो।
राहत जी के फैन्स और कई लोग फ़िल्म से लेकर शायरी की दुनिया तक उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ कर रहे हैं। कुमार विश्वास भी इन्हीं में से एक हैं जिन्होंने ट्वीट कर इनकी मौत पर दुःख व्यक्त किया।