सऊदी ने अपने कानून में किए बदलाव, दुनिया भर में हो रही चर्चा
सऊदी अरब दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जहां छोटी से छोटी गलती पर बड़ी बड़ी सज़ा दी जाती है, लेकिन रमज़ान के पाक महीने में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने एक बड़ा ऐतिहासिक फैसला लिया है।

सऊदी अरब हमेशा से अपने सख्त कानून के लिए जाना जाता है। वहां मामुली अपराध के लिए दी जाने वाली कड़ी सज़ा हमेशा से मानवाधिकार का उल्लघन मानी जाती रही है। इसीलिए सऊदी अरब में कुछ अहम सजाओं को सर्वोच्छ न्यायालय ने देश में हमेशा के लिए खत्म करने की घोषणा कर दी है। जिसमें कोड़े मारने की सजा को भी खत्म कर दिया गया। सऊदी अरब के बादशाह और प्रिंस द्वारा मानवाधिकार की दिशा में उठाया गया यह महत्वपूर्ण कदम है। अरब की अदालतों द्वारा दी जाने वाली कोड़े मारने की सजा का पूरी दुनिया के मानवाधिकार समूह विरोध करते आए है। क्योंकि कई बार अदालतें मानव जाति के साथ क्रूरता का व्यवहार करती थी और नंगी पीठ पर कोड़ों की बरसात करती थी। सऊदी अरब के सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस मामले में सुधार का होना देश को शारीरिक दंड के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के मानदंडों को और करीब लाना है। अपराधी को झूठ, यौन संबंध, शांति भंग करना और हत्या तक के संगीन मामलों में अदालतें आसानी से दोषियों को 100 ज्यादा कोड़े मारने की सजा सुनाया करती थी।
न्यायालय ने एक बयान में कहा है कि भविष्य में न्यायाधीशों को जुर्माने के तौर पर, जेल या फिर सामुदायिक सेवा जैसी सजाएं चुननी होंगी। हाल ही के कुछ सालों में सऊदी में कोड़े मारने की सजा उस समय बहुत सुर्खियों में आई थी जब 2014 में ब्लॉगर रइफ बादावी को इस्लाम की तौहीन का दोषी बताया गया था और 10 साल कैद और 1000 कोड़े मारने की सजा सुनाई गई थी। जबकि कुछ दिन पहले ही में 69 वर्षीय एक्टिविस्ट अब्दुल्ला अल–हमीद की कैद में स्ट्रोक से मौत के बाद सऊदी अरब में मानवाधिकारों को लेकर काफी सवाल उठे थे। जिससे अरब को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। कुछ ही दिनों बाद सरकार ने यह फैसला किया है। प्रिंस मोहम्मद के सऊदी का पद संभालने के बाद सऊदी अरब में मानवअधिकारों के उल्लघन के मामले सामने आए है। ऐसे माहौल में कोड़े मारने की सजा को खत्म करने का सराहनीय कदम है।
रिपोर्ट– ज़ोया नाहिद