सफूरा को जमानत तो मिली लेकिन कोर्ट ने रख दी ये शर्त
दिल्ली में हुई हिंसा के आरोप चलते जामिया की छात्रा और सोशल एक्टिविस्ट सफूरा को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दे दी। सफुरा पिछले दो महिनों से भी ज्यादा दिलों से जेल में बंद है।

सोशल एक्टिविस्ट और जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी की छात्रा सफूरा जरगर को आज दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है। गर्भवती सफूरा जरगर को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा करवाने के जुर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
काफ़ी कोशिशों के बाद आख़िरकार सफूरा जरगर को आज दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दे दी। बता दें दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में सफूरा की गिरफ्तारी हुई थी। फ़िलहाल उन्हें मानवीय आधार पर जमानत दी गई है और इस बात का केंद्र सरकार ने भी समर्थन किया है। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सफूरा को जमानत देने पर राज्य को कोई तकलीफ नहीं है, बशर्ते वह उन गतिविधियों में लिप्त न हो जिनसे उन्हें जोड़ा गया है।
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सफूरा जो अभी 23 हफ्ते की गर्भवती हैं, उनकी बेल के लिये सोशल मीडिया पर लंबे वक्त से मांग उठ रही थी
जस्टिस राजीव शकधर ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग की मदद से हुई सुनवाई में जामिया छात्रा गर्भवती सफूरा को 10 हजार रूपये के निजी मुचलके और कुछ अन्य प्रोमिसिस पर जमानत दे दी है। जिसमें सफूरा अभी शहर से बहार नहीं जा सकती हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सफूरा केस से जुडी गतिविधि में शामिल नहीं होंगी और जांच या गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगी।
गोरतलब है कि सफूरा जरगर को नागरिकता संशोधन कानून, सीएए के विरोध में उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी में दिल्ली दंगो और उन्हें भड़काने के आरोप में गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम यानिकि UAPA के तहत अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था।
सफूरा को जमानत मिलने से उनका परिवार बहुत खुश है जो लंबे समय से इस इंतेजार में था।