कोरोना से जंग में तबलीग़ जमात कैसे कर रही है मदद
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की अनुमति के बाद डॉक्टर रक्त प्लाज्मा थैरेपी से कोविड-19 संक्रमित मरीजों का उपचार कर रही है, जिसमें तबलीग़ जमात उनकी इस तरह मदद कर रही है।

भरत में कोरोना की आमद के बाद से ही मुस्लमानों को लेकर एक बेहद नकारात्मक नैरेटिव बनाया गया है। मीडिया का एक खास तबका जमात के खिलाफ इतनी आसान से नकारात्मक ज़मीन तैयार कर गया कि पता भी नहीं चला कि कब ये ज़हर हमारे समाज में फैल गया। निज़ामुद्दीन मरकज़ के वाक्ये के बाद से ही गोदी मीडिया कोरोना के खतरे को छोड़ तबलीग़ जमात (Tabligh Jamat) के बहाने समाज के ध्रुविकरण में लग गई। इसी मीडिया की बदौलत हमें उसी दिन ‘फंसे होने’ और ‘छिपे होने’ का भेद पता चला। मरकज़ मामले में गलती किस से हुई, पुलिस से या मरकज़ की इंतज़ामिया कमैटी से.. बहरहाल ये मामला अब अदालत मे है। किन्तु इस मसले को लेकर मीडिया का रवैय्या बेहद निराश करने वाला रहा। इसके बहाने उन्होनें हिन्दु–मुस्लिम समाज में जो खाई खोदने का काम किया है जिसने भारत की सेकुलर आत्मा को छलनी कर दिया। जमातियों द्वारा थूका जाना, नर्स के साथ बदतमिज़ी, वगैरा वगैरा… ये सब झूठी खबरें चलाकर देश में मुस्लिमों के विरुद्ध एक घिनौना माहौल बनाया गया। जिसके नतीजे आप सबके सामने है।
खैर मरकज़ से निकाले जमातियों में लगभग 1500 लोगों में कोरोना के लक्ष्ण पाए गए। जिसमे से कुछ इलाज पा कर ठीक हो गए और कुछ का अभी इलाज चल रहा है। अब अच्छी खबर ये है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) अनुमति के बाद दिल्ली सरकार प्लाज़मा थेरेपी की सहायता से कोरोना का इलाज कर रही है। जिसमें डॉक्टरस को कामयाबी भी मिली है। अब सवाल ये है कि प्लाज़मा थेरेपी होती क्या है। दरअसल कोरोना से ठीक हो चुके एक व्यक्ति के खून से कोरोना पीड़ित चार लोगों का इलाज किया जाता है। यह उपचार प्रणाली इस धारणा पर काम करती है कि वे मरीज जो किसी संक्रमण से उबर चुका है उकसे शरीर में संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं। इसके बाद नए मरीजों के खून में पुराने ठीक हो चुके मरीज का खून डालकर इन एंटीबॉडीज के जरिए नए मरीज के शरीर में मौजूद वायरस को खत्म किया जाता है। वता दें कि जब कोई संक्रमण व्यक्ति पर हमला करता है तो उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज कहे जाने वाले प्रोटीन विकसित करती है। अगर कोई संक्रमित व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज विकसित करता है तो वह वायरस से होने वाली बीमारियों से उबर सकता है।
हर्ष की बात ये है कि दिल्ली में संक्रमित मिले 1500 जमात वालों में से कोई भी ना तो आईसीयू (ICU) मे गया और न ही किसी की वेंटिलेटर (Ventilator) तक जाने की नौबत आई। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी वे स्वस्थ ही दिख रहे है। और जल्दी से रीकवर भी कर पाए हैं। दरअसल उनके शरीर में संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज की मात्रा अधिक पायी गयी है। सुत्रों के हवाले से खबर है कि इसको देखते हुए सरकार व स्वास्थ्य टीम ने फैसला किया कि जो जमात वाले कोरोना से उबर चुके है, अब उनके खून की प्लाज़मा थेरेपी से बाकी कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज किया जाएगा।