मनोरंजन

तांडव के एक्टर काली प्रसाद मौर्या जी से खास बातचीत

वेब सीरीज तांडव अमेज़न प्राइम पर रिलीज हो चुकी है। जिसपर लोगों की खूब प्रतिक्रियां आ रही हैं।

 

हमने इसी बिच तांडव सीरीज के एक सपोर्टिंग एक्टर काली प्रसाद मौर्या जी से बातचीत की। इंटरव्यू के कुछ अंश;

आप पत्रकार भी रह चुके हैं, गायक- कलाकार भी हैं कुछ शेयर कीजिये अपने बारे में ?

जी, मैं अयोध्या से हूँ। लम्बें समय तक मैंने बतौर संवादाता जी न्यूज चॅनेल में काम किया है, साथ ही इंडिया टीवी में एसोसिएट एडिटर की पोस्ट पर काम किया और अब फ्री लांसर कर रहे हैं। एक्टिंग की बात करें तो ९० के दशक से कर रहे हैं। एनएसडी के साथ भी जुड़ा रहा और अब तांडव में काम किया है।

तांडव में अपने किरदार के बारे में बताइये।

मैं सीरीज में इलेक्शन अफसर हूँ। VNU के नाम से एक पूरा बांगर है जिसमे स्टूडेंट्स अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं। मेरा रोल पॉजिटिव और नेगेटिव के बीच में है, जिसमे वो चीजों को अपने हिसाब से करना चाहता है।

तांडव को लेकर काफी कंट्रोवर्सी हो रही है, यहां तक की केंद्र सरकार को भी हस्क्षेप करना पड़ा, इसपर आप क्या कहना चाहेंगे ?

किसी भी सीरीज में डिस्क्लेमर दिया जाता है की ये घटना काल्पनिक है। तो किसी काल्पनिक कहानी को लेकर हकीकत में तांडव नहीं करना चाहिए। वो एक कल्पना के हिसाब से देखा जाना चाहिए। साथ ही मैं कहना चाहूंगा कि अली अब्बास ज़फर इसके निर्देशक हैं और मैंने अपनी आँखों से खुद देखा कि कैसे वो मुस्लिम होने के बावजूद भी सुबह शूट से पहले गणेश जी कि पूजा करते है और ज़ीशान अयूब जिनके सीन पर तांंडाव हो रहा है वो भी शामिल होते थे। मुंबई में सब गणेश जी कि आराधना करते हैं , चाहे कोई भी धर्म हो तो विघ्नहर्ता इस विघ्न को भी दूर करेंगे।

तांडव से पहले आपने इस फिल्ड में और क्या- क्या किया है?

तांडव से पहले मैंने एक शार्ट फिल्म ज़ोया, जो की सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है जिसे प्रभास सचदेवा ने डायरेक्ट किया है उसमे काम किया है। ये MX player और disney hotstar पर रिलीज हुई थी , जिसकी बहुत लोगों ने काफी प्रशंसा की। लंका फिल्म के साथ कुछ टेलीफिल्म और सावधान इंडिया के कुछ एपिसोड्स में भी काम किया है।

मौर्या जी, वेब सीरीज का चलन काफी बढ़ चुका है, हिंदी सिनेमा के लिए ये फायदेमंद है या नुकसान देह ?

हिंदी सिनेमा के लिए फायदेमंद है क्यूंकि थिएटर चलना अब आसान नहीं है। कोरोना के बाद अब लोग फ़ोन पर ही चीजें देखना पसंद करते है। OTT  प्लेटफॉर्म्स के जरिये तय अमाउंट मिलता ही है जैसे दूरदर्शन पर भी पहले होता था। तो ओट पर भी ऐसा ही बिजनेस के हिसाब से भी और रीच के हिसाब से भी।

वेब सीरीज में अपमानजनक भाषा जैसे की गलियों का इस्तेमाल होना आम बात हो गयी है , आपको नहीं लगता एंटरटेनमेंट के नाम पर कुछ ऐसा भी दिखाया जा रहा है जो समाज के लिए हानिकारक है, क्या इसपर लगाम कसनी चाहिए ?

जैसे काफी समय से हम सेक्स एजुकेशन की बात करने की बात कहते हैं , लेकिन असल में कोई इन मुद्दों पर बात नहीं करता । थील वैसे ही समाज में गाली गलोच है और वही दिखाया जा रहा है। लोग गलियों के बिना बात बिलकुल नहीं करते चाहे महिला हो या पुरुष ये सबके लिए आम बात हो गयी है । क्योंकि यह आम बात है और लोग पसंद कर रहे हैं इसलिए यह सब स्क्रीन पर  दिखाया जा रहा है। लोग पहले खुद को बदलें उन आदतों को छोड़ें तो छोड़ें समाज में भी वैसी ही फिल्में बनना शुरू हो जाएँगी ।

धन्यवाद !

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