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Tops के ज़रिए टोक्यो में भारत का खेल उदय हुआ !

टोक्यो ओलंपिक में भारत ने अपना अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया, नीरज चोपड़ा ने इतिहास रचा तो भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ओलंपिक में पोडियम फिनिश कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया,जबकि पी.वी. सिंधु,मीराबाई चानू, लवलीना बोरगोहेन, रवि दहिया और बजरंग पूनिया ने अपनी ताक़त का लोहा मनवा भारत को इन पर गर्व होने का मौका दिया।भारत ने ओलंपिक में एक गोल्ड, दो सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज समेत कुल 7 मेडल जीते।

क्या है टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम यानी Tops

 

टोक्यो ओलंपिक में आए इस बेहतरीन प्रदर्शन एक बात जिसने सबसे ज्यादा अहम रोल अदा किया वो रही टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम।ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में भारत के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए खेल मंत्रालय ने सितंबर 2014 में टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम यानी टॉप्स की शुरुआत  की थी।अप्रैल 2018 में इस स्कीम में थोड़ा बदलाव हुआ ,इस स्कीम के तहत कोर ग्रुप में चुने गए एथलीटों को हर महीने 50 हजार रुपये और डेवलपमेंट ग्रुप को 25 हजार रुपये का भत्ता दिया जाता है। फिलहाल, कोर ग्रुप में 162 एथलीट, हॉकी टीम और डेवलपमेंट ग्रुप में 254 एथलीटों को शामिल किया गया है।

इस स्कीम के तहत खिलाड़ियों को टॉप कोच से कोचिंग, खेल से जुड़े इक्विपमेंट खरीदने में मदद की जाती है। साथ ही ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में भाग लेने के लिए भी आर्थिक मदद दी जाती है। इसके अलावा खिलाड़ियों को सपोर्ट स्टाफ जैसे फिजियोथेरेपिस्ट और फिजिकल ट्रेनर भी दिए जाते हैं।इस स्कीम के तहत सरकार ने 2018-19 में 14.31 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसके बाद 2019-20 में 12.41 लाख करोड़ और 2020-21 में 15.65 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए।

2021-22 में 4 अगस्त तक स्कीम के तहत 12.48 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। सरकार ने मिशन ओलंपिक सेल  का भी गठन किया है, जो स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया  के अंतर्गत काम करती है। इस सेल का काम TOPS के तहत चुने गए एथलीट की पहचान करना और उन्हें सपोर्ट करना है।

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