तुर्की की ये मस्जिद सारी दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है, जाने आखिर क्यों?
तुर्की के इस्तांबुल में राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने ऐतिहासिक हागिया सोफ़िया (Hagia Sophia) म्यूज़ियम को दोबारा मस्जिद में बदलने के आदेश जारी किए हैं। इससे पहले तुर्की की अदालत ने भी हागिया सोफ़िया म्यूजियम को मस्जिद में बदलने के लिए कहा था। कोर्ट ने इस फैसले से 1934 कैबिनेट के फैसले को रद्द कर दिया है।

1500 साल पुरानी यूनेस्को की ये विश्व प्रसिद्ध इमारत मस्जिद बनने से पहले चर्च थी और 1930 में इसे म्यूज़ियम बना दिया गया था। पिछले साल चुनाव में तुर्की के राष्ट्रपति ने इसे मस्जिद बनाने का वादा भी किया था। तुर्की का हागिया सोफ़िया दुनिया के सबसे बड़े चर्चो में रहा है लेकिन कभी चर्च रहा तो कभी म्यूज़ियम और अब इसे मस्जिद बनाने का फैसला किया गया है। पहले विश्व युद्ध में तुर्की की हार हुई और उस्मानिया सल्तनत के खात्मे के बाद मुस्तफ़ा कमाल पाशा के शाशन में 1934 में ही इस मस्जिद को म्यूज़ियम बनाने का फैसला किया गया।
हागिया सोफ़िया (Hagia Sophia) पर क्या है राय
आधुनिक काल से ही तुर्की के इस्लामवादी राजनितिक दल इसे मस्जिद बनाने की मांग करते रहे हैं, तो धर्मनिरपेक्ष पार्टियाँ पुराने चर्च को मस्जिद बनाने का विरोध करती रही हैं। इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ भी आई हैं जिसमें ग्रीस ने इस फैसले का विरोध किया है। ग्रीस ने कहा कि चर्च ऑर्थोडॉक्स ईसाइयत को मानने वाले लाखों लाख लोगों की आस्था का केंद्र है और इसे मस्जिद बनाकर राजनितिक लाभ लेने की कोशिश की जा रही है।
यूनेस्को के उप प्रमुख ने कहा कि इस चर्च फैसला बड़े स्तर पर होना चाहिए जिसमें अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की बात भी सुनी जानी चाहिए। अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ का कहना है कि इस इमारत की स्थिति में बदलाव ठीक नहीं होगा क्योंकि ‘यह अलग–अलग धार्मिक आस्थाओं के बीच एक पुल का काम करता रहा है।
म्यूज़ियम से मस्जिद में तबदील होने वाली इमारत का इतिहास
बॉस्फ़ोरस नदी के किनारे गुम्बदों वाली ऐतिहासिक इमारत इस्तांबूल में स्थित्त है। यह बॉस्फ़ोरस नदी एशिया और यूरोप की सीमा तय करती है क्योंकि इसके पूर्व की तरफ़ एशिया और पश्चिम की ओर यूरोप है।
सन 532 में सम्राट जस्टिनियन ने एक भव्य चर्च के निर्माण का आदेश दिया था, तब इस्तांबूल को कॉन्सटेनटिनोपोल या क़ुस्तुनतुनिया के नाम से जाना जाता था। 537 में बनकर पूरा हुआ ये चर्च ऑर्थोडॉक्स इसाईयत को मानने वालों का अहम केंद्र बना और बाइज़ैन्टाइन साम्राज्य की ताक़त का भी प्रतीक बन गया।
हागिया सोफ़िया (Hagia Sophia) यानि कि पवित्र विवेक, यह इमारत तक़रीबन 900 साल तक ईस्टर्न ऑर्थोडॉक्स चर्च रही। लेकिम इसे लेकर विवाद केवल मुसलमानों और ईसाइयों में नहीं है, बल्कि 13वीं सदी में यूरोपीय इसाई हमलावरों ने इसे पुरे तरह से तबाह करके कैथोलिक चर्च बना दिया था।
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1453 में ऑटोमन साम्राज्य के सुल्तान मेहमद द्वितीय ने कस्तुनतुनिया पर कब्ज़ा कर लिया। इन्होंने इस जगह का नाम बदलकर इस्तांबूल कर दिया और बाइज़ैन्टाइन साम्राज्य ख़त्म हो गया। उन्होंने हागिया सोफिया को मस्जिद में तब्दील करने के आदेश दिए।गौरतलब है कि इस्लामी वास्तुकारों ने पहले ही ईसायत की ज़्यादातर निशानियों को तोडा और उनके ऊपर प्लास्टर की परत चढ़ा दी। एक गुंबद वाली इमारतों के साथ इस्लामी शैली की छह मीनारें भी इसके साथ बनवा दी गई।
पहले विष यद्ध में ऑटोमन एम्पायर बुरी तरह से हारा और साम्राज्य का कई टुकड़ों में विभाजन हो गया। मौजूदा तुर्की इसी ऑटोमन एम्पायर की नींव पर खड़ा है। मुस्तफ़ा कमाल पाशा जिन्हें आधुनिक तुर्की का निर्माता कहा जाता है , उन्होंने देश को धर्मनिरपेक्ष घोषित किया। 1935 में इन्होंने इस मस्जिद को म्यूज़ियम में बदल दिया और इस इमारत को आम जनता के लिये खोल दिया गया।