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लव जिहाद कानून के पिछे आखिर क्या है सरकार की मंशा ?

लव जिहाद मुद्दा आजकल सुर्खियों में बना हुआ है। बॉलीवुड सेलिब्रिटी से लेकर नेता लोग इस मुद्दे पर लगातार बयान दे रहे हैं। साथ ही यह मुद्दा देश के विभिन्न राज्यों में जोर पकड़ रहा है। लव जिहाद के बढ़ते मामलों को देख  कुछ राज्यों ने इसके खिलाफ सख्त कानून बनाने की घोषणा की है।

लव जिहाद पर इन राज्यों में बनेगा कानून

मध्य प्रदेश , हरयाणा और उत्तर प्रदेश राज्य ने इसपर सख्त कानून बनाने की तरफ कदम बढ़ा दिया है। हरयाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कुछ दिन पहले कानून तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किये जाने की बात कही थी। इसके अलावा यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ भी इस मामले पर लगातार बोलते आये हैं। उन्होंने इसपर कहा था कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। सीएम योगी का कहना है कि कानून बनने के बाद बहन , बेटियों की इज्जत से खेलने वालों का अंत हो जायेगा। यूपी में माना जा रहा है कि यह अपराध गैरजमानती होगा और 10 साल की सजा तक दी जा सकती है।

क्या लव जिहाद पर कानून लाना सही ?

भारत संविधान हर किसी को अपना धर्म चुनने की आजादी देता है। कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से धर्म अपना सकता है। इसी हिसाब से शादी भी हर व्यक्ति का निजी मामला है और इसपर निर्णय लेना उसका अपना अधिकार है। 

जबरन धर्म परिवर्तन स्वीकार्य नहीं

यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि शादी करने से पहले दोनों पक्षो को हर मुद्दे पर खुल के बात करनी चाहिए। ऐसे बहुत से केस सामने आए हैं जिसमे धोखे से महिला का धर्म परिवर्तन कराया गया और उसे शादी के चक्कर में फंसाया गया। इन्ही चीजों को रोकने के लिए कानून लाने की जरूरत है जिसे किसी का फ्यूचर बर्बाद न हो।

लव जिहाद जैसा कुछ नहीं है

लेकिन इधर हमें दूसरा पक्ष भी देखना चाहिए कि यदि व्यक्ति 18 साल + है, तो यह उसका अपना अधिकार है। प्यार करना और शादी करना हर व्यक्ति का अपना निजी अधिकार है और जहां प्यार होता है वहां जिहाद हो ही नहीं सकताइसलिए यह सिर्फ एक फिक्शनल शब्द है जो कुछ दिनों से राजनीति के लिए इस्तेमाल हो रहा है। यही कारण है कुछ हिन्दूमुस्लिम कपल को आज कल गलत निगाहों से देखते हैं और गलत राय बना लेते हैं। 

आपको यहां बता दें, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 एक ऐसा एक्ट है जिसके तहत दो अलग धर्मों के लोग बिना अपना धर्म बदले शादी रेजिस्टर कर सकते हैं। यहां जरुरी है कि इस एक्ट का इस्तेमाल सही तरीके से किया जाए और इसी में नए बदलाव किए जाएं।

भारत जैसे संवेदनशील देश में जिहाद जैसे शब्दों का प्रयोग करना लोगों के बीच अंतर पैदा करता है। धोखेबाजी के मामलों पर सख्त कार्यवाही की जरूरत है लेकिन इसके साथ सकारात्मक उदहारण भी देखने चाहिए जो सांप्रदायिक सौहार्द को बनाने में मदद करते हैं। नेताओं को यहां राजनीति फायदे के लिये बयानबाजी करना बंद करना चाहिए और असल में उत्पीड़न झेल रहे लोगों की सहायता करनी चाहिए।

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