गाइड लाइंस की अनदेखी और सुधीर चौधरी के अंहकार से Zee बना कोरोना मरकज़!
कुछ दिन पहले एक मिडिया एजेंसी ने Zee News में कोरोना संकमण किस तरह फैला इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट की थी। रिपोर्ट में Zee News की इनसाइड स्टोरी में सामने आया कि Zee Media के दफ्तर में कोरोना संबंधी नियमों का उल्लंघन हो रहा था। कर्मचारियों को बिना सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों के दफ्तर बुलाया जा रहा था। साथ ही न उन्हें वर्क फ्रॉम होम की अनुमति भी नहीं थी। इसके अलावा ऑफिस की बात न मानने वालों को चेतावनी दी गई। देखते ही देखते Zee News में कोरोना के मामले बढ़ कर 66 हो गए है।

एक मीडिया एजेंसी के हाथ कुछ ऐसे सबूत लगे हैं जो ZEE Media मिडिया में लगातार हुए जा रहे नियम उलंघन की दास्तां को बयान करते है। कर्मचारियों के ऐसे संदेश बरामद हुए है जिनसे साफ़ पता चल रहा है कि फेक देशभक्ति करने वाला मीडिया हाउस किस कदर अपनी मर्जी का मालिक है। इन संदेशों में तमाम कर्मचारी खुलेआम शिकायत कर रहे हैं, डरे हुए हैं और दफ्तर ले जाने वाली कैब में नियमों के उल्लंघन को लेकर परेशान है। लिफ्ट में भी एहतियात तक नहीं बरती जा रही है।लोगों के सरकार के नियमों का पालन करने की नसीहत वाले सुधीर चौधरी का ऐसा चेहरा सामने आया है जो उनके सार्वजानिक चेहरे से एकदम विपरीत है।
- कैब को लेकर गृहमंत्रालय के नियमों की अनदेखी
कोरोना की अभी कोई दवाई उपलब्ध नही है, इसलिए सोशल डिस्टैंसिंग और साफ सफ़ाई से ही हम खुद को और दूसरो को इस बीमारी से बचा सकते है। लेकिन देश के सबसे बड़े मीडिया हाउस में इन चीजों को लगातार नजरअंदाज किया गया। लॉकडाउन में यह नियम बनाया गया था कि किसी भी कार या कैब में ड्राइवर के अलावा केवल दो लोग सफ़र कर सकते हैं। परंतु Zee Media प्रभंधन ने इस नियम को अनदेखा किया और वर्कर्स की जान जोखिम में डाली। एक कैब में ड्राइवर के अलावा चार–चार लोगों को घर से ऑफिस ले जाया गया। इसकी शिकायत कर्मचारियों ने व्हाट्सअप ग्रुप में भी की जिनके स्क्रीनशॉट्स भी वायरस है।
Zee Media के अलावा जी के बाकी चैनलों का भी संचार जी की इस बिल्डिंग से ही होता है। इनमे Zee Hindustan और कई अन्य चैनल भी शामिल हैं। इन सभी कर्मचारियों को रुट्स में डिवाइड करके घर से लाने और वापिस जाने के लिए एक ही प्रोटोकॉल फॉलो होता है। लगभग सभी रुट्स के लोगों ने इस बारे में अपनी शिकायत की और कहा कि सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पालन नही हो रहा है। इन्होंने कहा कि ऐसे में हमारा काम करना सही नही है। लेकिन इन बातों को वैल्यू नही दी गई। इतना ही नही ज़ी न्यूज़ की इस अनदेखी पर पुलिस ने भी कई बार रोक, लेकिन ज़ी मैनेजमेंट ने अपनी पहुँच के जरिए मामला सुलझाया और यह सिलसिला जारी रहा।
- लिफ्ट और कैफेटेरिया का संचालन
Zee News में कोरोना के 28 मामले सामने के आने के बाद भी केवल सबसे ऊपर वाले फ्लोर को सील किया गया। यहाँ तक की कॉमन लिफ्ट को चालू रखा गया। जिसमें कोरोना संक्रमित लोग गुज़रते थे उस लिफ्ट को न बंद किया और बिल्डिंग के सभी फ्लोर्स पर वर्कर्स एक ही लिफ्ट से घूमते रहे। इतना ही नही कैफेटेरिया वाले लोग भी उसी लिफ्ट को इस्तेमाल कर रहे थे। इसके बाद टूथपिक लिफ्ट बटन को दबाने के लिए रखा गया जो की बाद में डिस्पोज़ होने के बजाय यूज़ किया जा रहा था।
- क्या Zee News का पहला मामला 15 मई को आया था ?
नहीं, Zee News में पहला कोरोना का मामला 29 अप्रैल को आया था। सुरेश चौहान कैमरामैन के संक्रमित होने के बावजूद भी जी प्रबधंन ने किसी का न तो कोरोना टेस्ट कराया और न ही क्वारंटाइन किया। जब लोगों ने इसपर कहा तो उन्हें टाल दिया गया और ऑफिस में किसी तरह का वर्क फ्रॉम होम और सोशल डिस्टैंसिंग पर जोर नही दिया। बल्कि यह सब छुपाया गया। 15 मई को भी जिस कमर्चारी के कोरोना पॉजिटिव होने के बारे में पता चला। उस वर्कर ने भी अपना टेस्ट खुद ही कराया था। नहीं तो न जाने कितने लोग इसकी चपेट में आ जाते। यही कारण है कि ऐसी लापरवाहियों के चलते आज ज़ी मीडिया कोरोना हॉटस्पॉट बन गया।
- नॉएडा प्रशाशन ने भी दिखाई लापरवाही।
28 कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद नॉएडा प्रशाशन ने चौथी मंजिल को सील करा दिया। लेकिन जब किसी आर्गेनाईजेशन में क्लस्टर में कोरोना संक्रमण पाया जाता है, तो गाइडलाइन्स के अनुसार सभी फ्लोर्स या बिल्डिंग को सील किया जाता है। सुत्रों के मुताबिक नोएड़ा प्रशासन बिल्डिंग सील कर रहे थे लेकिन सुधीर चौधरी ने अपने रसूख से उनको ऐसा नहीं करने दिया। नॉएडा प्रशासन से भी इस मामले पर बात करने की कोशिश की गई लेकिन अभी वे लोग इस बात पर उत्तर देने से कतरा रहे हैं।